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अपने कर्माें पर भी शोध करो

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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संजय कहता है,
कि ‘खुद’ को
खुद के अंदर,
ही तलाश करो।
अपने कर्माें पर भी,
कभी तो शोध करो
तभी हमें जीवन का,
सही मूल्यांकन मिलेगा।
हम कितने सही और,
कितने गलत हैं
यहीं पर हमें और,
आपको पता चलेगा॥

याद रहे कि अहम् से ऊँचा,
कोई आसमान नहीं,
किसी की बुराई करने जैसा,
आसान कोई काम नहीं।
स्वयं को पहचानने से,
अधिक कोई ज्ञान नहीं
और क्षमा करने से बड़ा,
कोई दान नहीं॥

मनुष्य की चाल और ढाल,
धन से और धर्म से
भी बदलती है।
जो धन का उपयोग,
धर्म के लिए करते हैं
वो सुख-शांति और,
समृद्धि पाते हैं।
जो धन को अहंकार समझते हैं,
वो कहीं के भी नहीं रहते
यही मानव जीवन का,
सच्चा सार है॥

जो समझ गया इस,
मूल मंत्र को जीवन में
जीवन उसका एकदम,
सफल हो जाएगा।
और अपने कर्मों के कारण,
फिर से मनुष्य जन्म पाएगा।
और धर्म की ज्योत,
आगे भी जलाएगा॥

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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