हालात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** प्रभात,चौवीस वर्ष का गोरा-चिट्टा, नौजवान। सर्वगुण सम्पन्न,खेलकूद, पढाई-लिखाई,गीत-संगीत,जैसी हर कला में दक्ष। अपने कोमल,शीतल,मन से हर किसी का लुभावना। हर किसी से घुल-मिल जाता,और…

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माँ का आँचल

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************************** माँ जगत कल्याणकर्त्री,हे धरा,करुणामयी।प्रेममय आँचल तुम्हारा,तुम दया ममतामयी।हो जगत जननी चराचर,विश्व आँचल में लिये।सृष्टि के आरंभ में सह,ताप वायु व जल दियेll महापरिवर्तन धरा पर,ज्वालामय अंगार…

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बना दूँ दीवाना…

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** बहारों की मल्लिका हूँ,मेरा अंदाज़ है मस्ताना,                 गर ख्वाबों में आ जाऊं बना दूँ दीवाना। गुल हूँ मैं गुलशन की शाख पर बैठूँ गुलशन का…

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वृक्षारोपण

मीरा जैनउज्जैन(मध्यप्रदेश) ********************************************************** "अरे हरिया! तू यह क्या कर रहा है कल ही नेता जी ने यहां ढेर सारे पौधे लगा वृक्षारोपण का नेक कार्य किया है,ताकि हमारे गाँव में…

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माँ उठ!

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* माँ के मृत शरीर सेचादर खींचता बच्चा,नादान है अभीउसे नहीं पता!उसकी माँकब तक सोएगी वहाँ!या उठेगी ही नहीं अबवह जगा रहा है माँ को-माँ उठ!अभी…

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संकट की घड़ी में विपक्षी दल कहां ?

ललित गर्गदिल्ली ******************************************************************* कोरोना महामारी के महासंकट की इस घड़ी में भारत के लोकतंत्र के महत्वपूर्ण आधार माने जाने वाले विपक्षी राजनीतिक दलों की भूमिका ने बहुत निराश किया। इस…

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अतीत

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** कितना कुछ बदल गया मेरे अंदर आज,मुझे वो छोटी-सी अल्हड़-सी राखी आज याद आ रही थी। अतीत जब दूर चला जाता है तो कहानी-सा नज़र आता…

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चुटकी!!

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* गुमनामियों से तो बदनामियाँ अच्छी,बदनाम हैं-पर नाम तो है,'आम' कहला जाने वाले लोगआपकी चर्चा में मशगूल तो हैं,दस में से कम से कम,कोई एक 'बुद्धिजीवी' जनआपके…

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बची नहीं आत्मीयता

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** नहीं रहेगा आपस में,मेल-जोल इंसानों मेंतो कहां से जिंदा रहेगी,इंसानियत अब दिलों में।रिश्ते-नाते भी अब,मात्र नाम के रह गएन आना,न जाना घर पर,बस दूर से ही नमस्कारll…

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बस इतना-सा कर लेते हम

कुँवर बेचैन सदाबहारप्रतापगढ़ (राजस्थान)********************************************************************** तौल-मोल कर ऩा देखना,मेरे शब्दों,पंक्तियों को तुम…ना जानूं मैं छंद बंध सब,ना देखना गलतियों को तुम। क्या होती है विधाएं,कैसे गणना-वणना होती…मैं बहता हूँ तरंगों में…

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