तुम्हें क्या पता
अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** मन के झंझावातों का तुम्हें क्या पता!बिखरे जज़बातों का तुम्हें क्या पता। निहारना वो वातायन पहरों, फ़िर लौटना ख़ाली हाथ उन लुटते एहसासों का, तुम्हें क्या पता...।…