उठो कलम के प्रखर साधकों

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** राजनीति ने हिंदी माँ की,अस्मत पुन: उछाली है, लाज छोड़कर एक हो गया,ग्राहक के सँग माली है। उठो कलम के प्रखर साधकों,हिंदीमय भारत कर दो- वरना सवा अरब बेटों को,माता की यह गाली है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की … Read more

मेरी माँ…गिनती भी नहीं आती

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** मेरी माँ है बिल्कुल अनपढ़,गिनती भी नहीं आती, जब भी माँगूं दो रोटी तो,चार हमेशा लाती। भूख नहीं लगती है फिर भी,मुझको वह खिलाती, जाता हूँ जब घर से बाहर,पानी जरुर पिलाती। सबको खाना देकर ही वह,अंतिम में ही खाती, मेरी माँ है बिल्कुल अनपढ़,गिनती भी नहीं आती। … Read more

मजदूर की मंजिल…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर, फिर उसी सड़क पर चलते हुए पैरों पर पड़ जाते हैं छालेl `मत` देकर सरकार बनाता है मजदूर, लेकिन वही सरकार छीन लेती है उनके निवालेl कारखानों में लोहा पिघलाता है मजदूर, फिर खुद लगता है गलने-पिघलनेl रोटी के लिए घर-द्वार … Read more

समझना मुश्किल,जीवन की पूर्णता है ‘प्रेम’

ओमप्रकाश मेरोठा बारां(राजस्थान) ********************************************************************* `प्रेम` का अर्थ आत्मा की संतुष्टि नहीं,बल्कि आत्मा का विस्तार है। भक्ति का मोल प्रेम है। ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रेम है,हर पीड़ा का अंत प्रेम है। हर शुभ का आरंभ प्रेम है। प्रेम ही जीवन की पूर्णता है। प्रेम हृदय का अनुराग और करुणा है। प्रेम हृदय को सरल … Read more

परिन्दा

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************ घाटी पर्वत मेरा गृह बसेरा, यही है मेरा संसार और डेरा। जहाँ मन करे,वहाँ चला जाता हूँ, संर्घष भरा जीवन बिताया करता हूँ। अजीब हैं दुनिया वाले अनजान समझते हैं, मगर कैसे बताऊं,जो हमें बेजुबान बोलते हैं। न हमारी कोई भाषा है,न कोई बोली, न हमारी कोई ईशा है,न कोई टोली। … Read more

कालचक्र हूँ,इतिहास बनाता हूँ

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** मैं कालचक्र हूँ,इतिहास बनाता हूँ मैं देख रहा था दिग्भ्रमित युवाओं ने, परिवार की परिभाषा भूल `लिव इन रिलेशनशिप` के नव आचार को अपनायाl संस्कारों की होली जलाई, बुजुर्गों को अपने प्यार से दूर कियाl और फिर, बीज बो दिए बबूल के आम की आस करते गए आँगन में `कैक्टस` … Read more

अंधकार में दीप जलाओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** अंधकार में दीप जलाओ,तब ही जीत मिलेगी, औरों से तुम प्रेम बढ़ाओ,तब ही प्रीत मिलेगीl वरना भटकोगे हर क्षण तुम,जीवन मुरझाएगा- असह्य ताप में मिले वेदना,क्योंकर शीत मिलेगीll परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर … Read more

ख़ालीपन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* कैसा बरपा, कहर वबा का ? सूना शहर, सड़कें ख़ाली हैं। हालत बुरी मुफ़लिसों की देखो, ख़ाली पेट और ज़ेब ख़ाली है। ख़ाली दिन है रातें ख़ाली, वक़्त का हर लम्हा ख़ाली है। ख़ाली आँखें ख़ाली नींदें, सपनों का दामन ख़ाली है। ख़ाली मन का सूनापन है, आशाओं का दर्पण … Read more

कब्रिस्तान में `कोरोना`

नवेन्दु उन्मेष राँची (झारखंड) ********************************************************************* `कोरोना` को लेकर कब्रिस्तान में हलचल तेज हो गई थी। प्रत्येक मुर्दा यह जानने को बेताब था कि आखिर कोरोना क्या है ? कुछ मुर्दे तो कोरोना देखने के लिए शहरों में जाना भी चाह रहे थे,लेकिन मुर्दा संघ के नेता ने उनसे कहा-“अपनी कब्र में सुरक्षित पड़े रहें,किसी भी … Read more

नई कलम ने कराया ऑनलाइन कवि सम्मेलन

इंदौर (मप्र)। वर्तमान स्थिति में वैश्विक महामारी ने जहां दुनिया को ‘कोरोना’ विषाणु की परिधि में बांधकर बोझिल वातावरण में जीने को विवश कर दिया है,वहीं जीवन के इन नकारात्मक अनुभवों के बीच इस तपन को शीतलता प्रदान करने के लिए शब्दबृह्म ने कविता का रूप लेकर मन को शब्दों की फुहार से शीतलता प्रदान … Read more