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आशावादी होना सबसे बड़ी ताकत

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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नि:संदेह आशावादी होना जीवन की सबसे बड़ी ताकत है,क्योंकि जब सब ओर से जीवन की नाव डूब रही हो,तब आशा की एक किरण भी जीवन को बचा लेती है। तभी ‘डूबते को तिनके का सहारा’ वाली कहावत चरितार्थ होती है।
अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक मान्यता है कि आशा सकारात्मक सोच को जन्म देती है,जिससे मनोबल बढ़ता है और जीव जीत जाता है,क्योंकि ‘मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।’
धर्मग्रंथ भी कहते हैं कि ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं,जो स्वयं अपनी सहायता करता है। इसलिए आशा विश्वास की वह ऊर्जा है,जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा को जन्म देती है।
प्रकृति साक्षी है कि,जिसके पास आशावाद की सकारात्मक ऊर्जा का शस्त्र है,वह जीवन के प्रत्येक युद्धक्षेत्र में हमेशा विजयी ही होता है।

परिचयइंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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