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बंध और दूरी-हमारा कर्तव्य

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


समाज,सामाजिक इन शब्दों से हम़ अंजान तो नहीं हैं। सामाजिक विषयों पर अगर कोई कुछ लिखना चाहे तो पूरी ज़िंदगी कम है। वैसे तो इन शब्दों का अर्थ पहले से पता है लेकिन फिर भी सामाजिक सम्बन्ध और दूरी की जब बात आती है,तब इसके गहन अर्थ को हम इस ‘तालाबंदी’ के दौरान ही समझ पाए हैं। सामाजिक सम्बन्ध और दूरी इन दोनों शब्दों को अगर हम देखते हैं तो ये दोनों ही विरोध में है।
वर्तमान समय में जो समस्या चल रही है उसमें यह सामाजिक सम्बन्ध और दूरी दोनों ही बहुत मायने रखते हैं। इनमें से अगर हम दूरी की बात करते हैं तो केवल शारीरिक दूरी है,सामाजिक नहीं। दोनों ही उतने ही महत्वपूर्ण है। इसका यह एक खूबसूरत उदाहरण है।
एक मोहल्ले में घर के द्वार पर सूचना लगाई जाती है कि इस घर में ‘कोराना’ संक्रमित व्यक्ति है,इसलिए घर का कोई भी व्यक्ति १४ दिनों तक बाहर नहीं आ सकता। यह बात जब मोहल्ले के लोगों को पता चलती है तो पहले तो उनके देखने का नजरिया बदल गया,अरे! उनके घर पे पुलिस ने एवं महानगर पालिका ने नोटिस लगाया है। वहाँ सबका आना-जाना बंद हो जाता है, यहां तक रिश्तेदार भी आना बंद कर देते हैं। एक तो कोरोना संक्रमित व्यक्ति घर पर,ऊपर से लोगों का यह रवैया। इन दोनों से घर के बड़े व्यक्ति सहम जाते हैं। हमारे अपने भी अपने आस-पास नहीं आ रहे हैं,यह सोचकर वह डर जाते हैं। दूसरी ओर उसी मोहल्ले का एक व्यक्ति उन्हें फोन करके कहता है कि दादा जी अगर आपको किसी चीज की जरूरत है तो बता दीजिए,हम आकर देंगे। दादा जी की साँस में साँस आ जाती है,क्योंकि उनके बी. पी. और शुगर की दवाइयां महत्वपूर्ण थी। दूसरे दिन वह व्यक्ति दवाईयाँ,कुछ सब्जियाँ और दूध लाकर घर के सामने लाकर रख देता है। घर के लोगों को भी तसल्ली हो जाती है कि,दवाइयां मिल गई और खाने की चीज़ें भी मिल गई।
कहने का तात्पर्य यह है कि,जिन्होंने दूरी रखी है,वे सही हैं,क्योंकि वे डर गए थे। वे नहीं चाहते थे कि उन्हें भी इस बीमारी का शिकार होना पड़े, इसलिए वे शारीरिक एवं सामाजिक दूरी बरकरार रखते हैं,लेकिन वह व्यक्ति भी सही है जिसने सामाजिक या शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए भी सामाजिक संबंधों की महत्ता को बखूबी निभाया।
वर्तमान समय में कोरोना जैसी महाभयानक समस्या से हम सब लड़ रहे हैं। इस दौरान हमें सामाजिक सम्बन्ध और दूरी दोनों ही रखना अति आवश्यक है। इस समस्या से बाहर निकलने के लिए हमें सामाजिक सम्बन्ध और दूरी इन दोनों का ही तालमेल रखना जरुरी है। भारत देश में बहुतांश जगहों में यह बनाए रखा गया है। जैसे कि अगर कोई कोरोना व्यक्ति अच्छा होकर,उससे मुक्त होकर समाज में फिर से लौट आता है,तो उसे निंदा या घृणा के रूप में न देखते हुए उसका फूलों और तालियों से स्वागत किया गया है। यही तो सामाजिक सम्बन्ध है और यह सिर्फ हमारे भारत देश में हो सकता है,क्योंकि भारत देश महान था,है और हमेशा ही रहेगा।
इसलिए,भारत देश के नागरिक हर समस्या से उबरकर बाहर आने की कोशिश करते रहते हैं, क्योंकि हमें यह ताकत हमारे पूर्वजों से,भारतीय संस्कृति से प्राप्त है। समस्या सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती,इसके लिए हम सबको मिलकर सरकार, पुलिस,चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों का साथ देना होगा।

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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