कुल पृष्ठ दर्शन : 142

रिश्ते-नाते

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
***********************************************************

संबंधों के इस आँगन में,क्या तेरा क्या मेरा है,
रिश्तों के पावन दामन में,छाया द्वेष घनेरा हैl

जिसको हमने हमदम माना,भाई अरि सम बैठ गया,
देख मांग सिन्दुर वधू का,पोंछ वही तो जेठ गयाl
दो कौड़ी में बिकती दुनिया,नाते सब बेकार हुए,
सिर्फ दिखाऊ मेजबान हम,रिश्ते सब व्यापार हुएl
भरे पेटियां लेकिन जाने,जग दो दिन का डेरा हैl

प्रीत-प्यार को भुल रहे हम,मिलना भी तो छलावा है,
आँखों आगे काटा लेकिन,जाली मिलता मावा हैl
मोबाइल पर मिलकर घंटों,बातें हम बतियाते हैं,
संग कहो कब अपनों के हम,अपना समय बिताते हैंl
अपने हाथों से ही हमने,अवसादों को घेरा हैl

इतिहासों के पन्नों से नित,बुरी बात अपनाते हैं,
स्वार्थ भरी नजरों से निशदिन,नजरों में गिर जाते हैंl
सभी जानते अंत बुरा पर,कांपें कब अपराधों से,
चलकर चालें काम निकाले,बचना एसे प्यादों सेl
काली रातों के पीछे ही,खिलता रोज सवेरा हैl

संबंधों के इस आँगन में,क्या तेरा-क्या मेरा है,
रिश्तों के पावन दामन में,छाया द्वेष घनेरा हैll

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

Leave a Reply