कैसा ताना-बाना ?

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** समय को बांधने का,प्रयास जारी हैसफलता दूर-दूर तक,दिख रही भारी है। अच्छी-अच्छी बातें,कर रहे हैं लोगसच्चाई कुछ और ही,दिख रही है चारों ओर। वक्त को लोग समझाने में,शिद्दत से…

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रातों को जगाकर

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* यादें तंग करती है,रातों को जगाकरधीमे से आकर,कुछ पल खट्टे-मीठेपलकों के नीचे,आँखों को भीचेंयादें तंग करती है। मुड़कर देखा तो,बचपन के साथीछुपा-छुपी खेले,पेड़ों के नीचेस्कूल के…

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नई किरण

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** आज की सुबह,मैं चाय की चुस्की के साथसुहानी धूप सेंक रहा था,नए साल के स्वागत के लिएकुछ तरकीब सोच रहा था।सहसा एक ख्याल आया मन में,गुजरे हुए…

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तेरे आने की ख़बर

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** विदाई जैसे आँखों को,रुलाने का प्रमाण-पत्र मिला होघर-आँगन की तस्वीरों में,कैद यादेंरह-रहकर हमें रुलाती,जब तेरे आने की खबरयाद के रूप में हमें बुलाती है। दरवाजे पर दस्तक,भले…

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एक सवाल…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** दौड़ता!तेज रफ़्तार से,आधुनिकता का घोड़ापरम्पराओं को भूलकर,पगडंडियों के सहारे।एक सवाल ?पहुंच पाएगा,अपनी मंजिल तकया फिर,बीच राह में।अस्त हो जाएगा,सूरज युग का॥ परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान)…

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वक्त की धारा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह वक्त की धारा है,समय और काल भी कहलाता हैपथ प्रदर्शक बनकर,सदैव सही राह बताता है। प्रवाह है कभी सीधा,कभी टेढ़ा बन जाता हैसमय-समय पर अपनी,नयी फितरत से कुछ…

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वीरों की गाथा भारत माँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** मन मचल रहा है लिखने को,वीरों की गाथा भारत माँगुलज़ार चमन भारत स्वर्णिम,आतंक व्यथा हिय भारत माँ। निज सैन्य सबलता लिखने को,पुरुषार्थ सफलता भारत…

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कहाँ खो गया स्वर्णिम संस्कार ?

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* संतान को अपने जीवन भर की,कमाई और जमा पूंजी जोड़ करविदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजाधन अर्जन कर प्रसिद्धि प्राप्त करने भेजा।पर क्या खबर थी…

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घर

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* वो घर से बाहर नौकरी करती थी,वहां एक कमरा भी किराये पर ले लियामगर-एक दिन की भी छुट्टी होती,वह घर आ जाती।मैं कहती-एक दिन के लिए,तू भागी-भागी…

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जीवन और प्रेम

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** चौखट की ओट से,जब तुम्हारी निगाहें निहारतीलगता सांझ को इंतजार हो,रोशनी काराह पर गुजरते अहसास,दे जाते तुम्हारी आँखों मेंएक अजीब-सी प्रेम की चमक।पूनम का चाँद,देता तुम्हारे चेहरे…

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