‘बेटी’ नाम धन्य कर गई रोहिणी

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पिता को किडनी दान कर एक बेटी,ये रोहिणी तो महान हो गई है बेटी। कह दो बेटा चाहने वालों माँ-बाप से,बेटी अनोखा काम कर…

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नव शिशु है भविष्य देश का

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** गूंज उठी वत्सल किलकारी,खुशियों ने अवतार लिया हैछू लिया है नन्हें-नन्हें हाथों ने,एक सुखद एहसास हुआ है। मन के अंधेरे में हुआ उजाला,हर आँगन गुलज़ार किया हैजीवन…

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नमन प्रतिपालक को

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जब-जब राधा रानी की बजती है, छमा-छम पायल,स्वर सुनते ही बावरे कृष्ण, होते हैं आत्मा से घायल। राधा रानी के प्यार में, श्री कृष्ण सदैव बावरे…

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मैं अग्नि हूँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* जलता मैं चिराग हूँ,दहकता अलाव हूँहर पल धधकता रहा,वो जलती आग हूँ। सदियों से जली हूँ,ना बुझी बस जलती हूँलहकती मचलती,रौशनी मेहताब हूँ। जलती हर…

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कोई बात नहीं

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** हवा का रूख देख कर,लोग बदलते हैंकोई बात नहीं,हम भी बदलें, जरुरी नहीं…। चमकता सितारा बनाना,ख्वाईश बुरी नहींहै तैयारी तो ठीक है,दिल ना माने तो मत करोकोई बात…

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दिल को पत्थर बना लिया…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** देखते हैं कब तक,आजमाएगा ज़माना हमें ?हमने भी ना टूटने की,कसम खायी है।दिल था मोम मेरा,मैंने पत्थर बना लियाकिसी ने दी आशीष तो,किसी ने बददुआ।ये सोचकर,मैं कभी…

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वो चाय

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** स्कूल जाने से पहले,वो पारले-जी वाली चायहाँ मुझे याद है,पिताजी की आफिस सेवापसी वाली चाय।फिर शाम को ४ बजे की,परिवार के साथ वाली चायमुझे याद है…

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संस्कार और संस्कृति

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* शुद्धि की प्रक्रिया ही मौलिक संस्कार है,शरीर, मन, और मष्तिष्क जब पवित्र हो तो श्रेष्ठ श्रृंगार हैसंस्कृति हमारे देश की प्राचीन अलंकार है,निरंतर मानव को उदयीमान…

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खो गई है बेटियाँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नन्हीं हथेली में,पकड़ना चाहती है चाँद कोजिद करके,पाना चाहती चाँद को। छुप जाता है जब,माँ को पुकारती पाने चाँद कोथाली में पानी भरकर,परछाई से बुलाती माँ चाँद…

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रात ढल चुकी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* झाँक रही हूँ खिड़की से नीलगगन,कहाँ हो चन्द्रमा, कहाँ हो गए मगनसच बताओ चन्द्रमा, क्या है इरादा ?लगता है भूल गए हो अपना वादा। रात ढल…

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