सबसे ऊपर लहराए मेरी हिन्दी

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मेरे देश का जज्बात है हिन्दी,कहने को आजाद है हिन्दीभारत में अब भी फसाद है हिन्दी,दक्षिण में उल्टी-सी बात है हिन्दी। उर्दू के कारण आघात…

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रूठी है ज़िन्दगी

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* रूका हुआ आलम है, रुठी है जिन्दगी,कैसा है फलसफा बेगानी है बन्दगीचुपके से आ रही है बेरुखी,ज़हन में छाई हुई है दीवानगी। वक्त ने किया इस…

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मुसाफिर

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** जो व्यक्ति कररहा होता है सफर,उसे ही हमकहते हैं मुसाफिर। इस दुनिया में हममुसाफिर हैं,मगर हमने यहाँ केस्थायी निवासी की,गलतफहमी पाल ली है। यदि अच्छा…

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भर लूँ उड़ान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* उन्मुक्त उड़ानें भरने को, अन्तर्मन विहग मचलता है,अभिलाषा मन गुलज़ार गगन, खुशियाँ कल्लोल चहकता है। आधार खुशी उन्मुक्त क्षितिज, मुस्कानों से भर जाता है,संकल्प…

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जागो जनता

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** सत्ता होती है बेकाबू तब तक,जब तक जनता मदहोशी में सोती हैइतिहास गवाह है धनवानों को कितनी,पीड़ा गरीब-मजलूमों की होती है ? जनता जब जागेगी तो…

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रब की चिट्ठी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* चिट्ठी आ गई है धरा पर रब की,स्त्री हो चाहे-पुरुष हो, सबकीधरा की माटी से बनाया इन्सान,सही कर्म से, मैं करूॅ॑गा कल्याण। नर से नारायण यदि…

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हिन्दी वर्णमाला विचार

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** अ से अनार, का फल है ताजा,आ से आम, फलों में राजा। इ से इमली, वो खट्टी-खट्टी,ई से ई ईख, वो उतनी ही मीठी।…

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नदी-समंदर लूट रहे हो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सारा पानी चूस रहे हो, नदी-समंदर लूट रहे हो,दानवता की धूम मची है, मानवता को लूट रहे हो। राजनीति की चौसर पर तुम, दाँव…

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पुनः सनातन लाना होगा

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** आओ मिलकर बीजते हैं बीज, इस धरती पर सनातन का,भटकी हुई नव पीढ़ी को फिर से, पढ़ाते हैं पाठ पुरातन का। जहां थी मान-मर्यादाएं घनी, अभाव…

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आया सावन झूम के

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आया सावन झूम के, हरियाली बिखराय,बागों में झूले पड़े, सखियाँ कजरी गाय। भीगी-भीगी है धरा, मयूरा करे किलोल,बूंद-बूंद बरसात के, रिमझिम मीठे बोल। ऋतु पावस मन मोहनी,…

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