सखी रे, सावन पावन लागे

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** पावन सावन-मन का आँगन... सूखे ताल-तलैया भर गए,पशु-पक्षी प्यासे थे, तर गएरिमझिम-रिमझिम बरसे बदरा,मन चातक हरसावन लागेसखी रे, सावन पावन लागे। धरती नव-यौवन को पाई,हरी चुनरिया…

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सच्चे ये भोला, अच्छे ये भोला

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** सबके ये भोला, सचमुच में भोला हैं,शिव शंकर भोला हैं, ये कण-कण में भोला हैं। कंकर के भोला हैं, पत्थर में भोला हैं,गंगा के भोला…

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आए जब सावन

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* पावन सावन-मन का आंगन..... आए जब सावनलागे मन-भावनप्रकृति है हर्षित,हर्षित है तन-मन। बादलों का शोर,मनवा नाचे मोरयौवन की गगरी छलके,हियरा ले हिलोर।बादल संग बिजुरिया,आई बन-ठन।आए जब सावन……

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आक्रोश

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मणिपुर की घटना,घटना नहीं, कलंक हैतृष्णा नहीं दरिंदगी है,एक ऐसी दरिंदगी जो-मानवता को शर्मसार करती है। बदले की भावना में मनुष्य,इतना नीचे गिर सकता…

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महादेव, करो नमन स्वीकार

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** हे देवों के देव महादेव, करो मेरा नमन स्वीकार,दे दो आशीष मुझे ऐसा, महिमा लिखूँ मैं अपरम्पार। हे सृष्टिकर्ता महादेव, गुण गाऊँ मैं बारम्बार,रचित हुआ है तेरे…

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तलाश

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** उम्र की अपनी फितरत है,वह किसी से गुफ्तगू नहीं करती हैकिसी ख़ास से भी,मशवरा नहीं करती हैसांझ की आहटों से ही,कुछ-कुछ पता चलता हैख्वाहिशों को अब पंख न मिलें,की…

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नर-नारी अब समान

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** नर-नारी अब एक समान,दोनों के ही एक परिधान,सिंदूर न टीके का ध्यान,दिन और रात एक समान। बदला जीवन विधि-विधान,माता-पिता को है संज्ञानविश्व में चलन चढ़ा…

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पावन व पवित्र माह

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** पावन सावन-मन का आँगन... पावन पवित्र सावन,पवित्र भावनाओं को सहेजने वालीअनुपमा का अपूर्व सौन्दर्य है,उन्नत ईश्वरीय खोज कासुन्दर आभार लगता है यहाँ,मानों हम घोषित कर दिए गए दिग्विजय हैं,हमें…

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छोड़ न…, सब चलता है

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** दिल को लगी ठेस,और मरहम भी जलता हैपर छोड़ न,सब चलता है। तो क्या हुआ,जो ठुकरा रही है दुनियाठोकरों से ही तो,इंसान सम्हलता हैपर छोड़ न,सब…

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शब्द-खेती

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** कविता की खेती-बाड़ीमें कवि बोते हैं,नित रोज एक-एक करशब्द के बीज,अच्छी नस्ल के शब्द-बीजसे अंकुर जाते हैं। उर्वर शब्द धरा परकवित्व भावों के रसदार,सुस्वादु कवि की संवेदनाएंलेकर…

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