घिर आए मेघा

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** ओ मेघा रे… काली-काली घटा लिए छा गए मेघा,साफ आकाश में चारों और घिर आए मेघा। बारिश का उपहार ले के आए मेघा,उष्णता से राहत की…

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मेघा बरसो न…

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** ओ मेघा रे… आज़ दिल से गुहार है,मेघा बरसो न जल्दतरस रहा है मन मेरा,यह मेरी दिल से निकली पुकार है। धरती की ऊष्मा बर्दाश्त नहीं होती,तपती धरती यहांअब…

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अति जब भी होती है

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** अति जब भी होती है, बांध तभी टूटते हैं,सब्र के इम्तिहान में नक़ाब सभी टूटते हैं। मुखौटो का बाजार है, मुस्कान है सस्ती,गैरों को छोड़ो, अपने भी…

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सुध-बुध भूल जा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** लल्ला खोले जब नयन होती भोर भी,पलकें मूंदे, रात होती घनघोर भी। ले बलायें मैया मेरा है साँवरा,गोपियाँ कहतीं हमारे चितचोर भी। मन मुलायम बन गया…

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यह दुनिया है परिवर्तनशील

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** यह दुनिया है परिवर्तनशील,रहता नहीं यहाँ कुछ स्थाई हैआज जहाँ दिखता सुन्दर रूप,कल अवश्य मिटेगा, सच्चाई है। आते-जाते इन रूपों में,हमें संग-संग चलना हैकहीं मिलें…

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सावन की रिमझिम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** सावन में बूंदों की रिमझिम,सबके मन को भाती हैझूलों के संग हिल-मिल सखियां,जीवन का राग सुनाती है। गाती है मल्हार खुशी से,वो फूली नहीं समाती हैऐसे में…

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जय ज़वान माँ भारती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** सैनिक सरहद पर खड़े, छोड़ मोह परिवार।तन-मन-धन अर्पण वतन, लीन शत्रु संहार॥ पुलकित मन माँ भारती, देख समर्पण पूत।साश्रु नैन स्नेहिल हृदय, नित कृतज्ञ…

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गहरा राज़

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* चुप का प्रश्नों पर जब साया होता है।राज़ यक़ीनन तब कुछ गहरा होता है। जनता बागी हो वो आती तब सड़कों पर,कुर्सी पर शासक…

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लगता है प्यारा

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** लगता है वो मुझको प्यारा,नीली आँखें दिखता न्यारा…दूर रहे वो जैसे दिल्ली…का सखि साजन ? ना सखि बिल्ली। रसीला मीठा-मीठा,होंठ न लगता रहता रूठामन ललचाना उसका काम,का…

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संवेदना-एक वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* जीवन में संवेदना, लाती है मधुमास।आँखों में आती नमी, मानव तब हो ख़ास॥ नम आँखों में ही दिखे, करुणा का नव रूप॥जिससे खिलती चाँदनी, बिखरे…

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