परमात्मा के वादे

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)************************************************** संग हूँ जब मैं तुम्हारे, कुछ भी नहीं असम्भव,हाथ थाम लो मेरा, तब होगा सब कुछ सम्भव। याद करे जो मुझे निरन्तर, सुख ही वो पाएगा,जीवन…

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मन का कर सम्मान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* मन का मौसम कह रहा, मन का कर सम्मान।तभी पलेगा दोस्तों, हर पल मंगलगान॥ मन में हो यदि दिव्यता, जीवन बने महान।मन पाएगा नित्य ही,…

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रिश्ते-यक्ष प्रश्न

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** आज़ बातें चल रही है,रिश्ते-नाते पर तकरार हो रही हैरिश्ते कैसे हों ?यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है। ज़िन्दगी ने एक सवाल,का रूप धारण कर लिया हैइसलिए यहां…

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नवभोर नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नवभोर नमन मंगलमय जन,खिले चमन नव प्रगति सुमनपथ नवल सोच नवशोध सुयश,नवयुवा देश हित भक्ति किरण। कर्म कुशल युवा जन-मन भारत,सच्चरित्र ज्ञान पथ उठे…

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नजदीक

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** यूँ लब थरथराने लगे,तुम जो मेरे नजदीक आए। महकती खुशबू जो महका गई,तुम जो मेरे नजदीक आए। नजरें ढूंढती रही हर दम तुम्हें,तुम जो मेरे नजदीक आए।…

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साया

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* चुप का प्रश्नों पर जब साया होता है।राज़ यक़ीनन तब कुछ गहरा होता है। विश्वासों पर जब भी हमला होता है।दिल पर उनका गहरा…

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जाना चाहती हूँ मन आनंदित करने

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ जाना चाहती हूँ आनंदित होने,वन-वन मोहक दृश्य विचरण करनेकश्मीर-सा सुंदर मन भरने,चिनारों को भेदतीसूर्य किरणों को,गोल-गोल घूम कर साथ नचानेहिम आच्छादित पहाड़ों को,धूप से पिघलते हुए देखनेपत्तों की…

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प्रभु की रचना…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी- प्रति चरण १६ मात्रा, मुखड़ा ४ चरणों का, तथा तीन अंतरे ८-८ चरणों के प्रभु की रचना, कितनी न्यारी,जीव-जगत ने हर सुख पाया।मन…

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मन…?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भागो,सूरज पिघल रहा हैधरती की ओर,सैलाब बढ़ रहा है…चलो चाँद पर चलें,चाँद यहीं गिर जाएगातब ? मंगल,शनि,बुध…मेंन सभी है…सूरज की लपक लपट में,निहारिका,आकाश गंगा ?सब-कुछ जल रहा…

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मन बाग-बाग होता

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** कभी-कभी इच्छानुरूप कुछ होता और सुहाता है,मन बाग-बाग होता, मन का मौसम बन जाता है। हर बात मन को भाती, कुछ-कुछ होने लगता है,सब-कुछ अच्छा लगता,…

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