मोहन
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** खड़े कब से तुम्हारे द्वार पर कृष्णा,नहीं जाती हृदय से ये कभी तृष्णाहमें अपना बना लो तुम सहारा दो,करें हम पार वैतरणी किनारा दो। दिखा…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** खड़े कब से तुम्हारे द्वार पर कृष्णा,नहीं जाती हृदय से ये कभी तृष्णाहमें अपना बना लो तुम सहारा दो,करें हम पार वैतरणी किनारा दो। दिखा…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मैं काशी हूँ, आर्यावर्त की प्रथम नगरी,गिनती में त्रेता युग से पावन सप्त पूरी। स्थापित हूँ अडिग निरंतर स्थिर अस्तित्व लिए,तीनों युग की आयु अब कलयुग में…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* मन के मौसम की बात करूँ मैं,है ये जीवन का इकतारापल-पल देखो भाव बदलता,कभी खुश-कभी हँसी नजारेकभी उदासी कभी मंथन सारे। बचपन के दिन याद…
दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** मैंमनबड़ा हीचंचल हूँबदल जानामेरी आदत हैमौसम की तरहबदलती है प्रकृतिऔर मैं पवन के झोंकोंके साथ-साथ जगहजगह ललचाताघूमता रहताहूँ गतिशीलहोने से मैंकभी भीदु:खपालेताहूँ औरकभी सुखव कभी-कभीरुक जाता…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** एक,अनजान-सीआहट ने मुझे,धक्का मारामैं दूर गिरा,उठ न सकालाचार आँखों से,देख न सका। मैंने पूछा,किसने मारामरे हुए को!वो गुर्राया,कुछ बड़बड़ायामैं पहचान गया था,अपने को। मैं कुछ बोल पाता,उसने…
सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** मन बड़ा बलबान,कभी तो लगता ईश्वर हैये कभी लगता शैतान,मन बड़ा बलवान है। लाख सम्भाला इसको बाँधा,फ़िर भी नहीं पकड़ में आताजतन किए कि बंधा…
डॉ. संगीता जी. आवचारपरभणी (महाराष्ट्र)***************************************** मन का मौसम है अपने ही मन का फेर,दूसरों को देखोगे तो हो ही जाएगा अंधेर। मन अपना, खुशी क्यों औरों से जोड़ते हो ?तोड़ने…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** फटी बिवाई देख,मुझे रोना आता हैवो मजदूर है साहब,जिसे खोना आता है। अपने अरमानों को,दिल में छिपे ख्वाबों कोपसीने से लथपथ,आँख भिगोना आता है। चिलचिलाती धूप में,वो…
सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** कोई वादे से जब मुकरता है।दिल पे तूफ़ान-सा गुज़रता है। दिल मचलता है आह भरता है।जब वो नज़रों से वार करता है। सिर्फ़ कहते हैं लोग…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* सखी मैं तो चली मेहन्दी लगाने, जूड़ा बनाने,हाथों में कंगना, कजरा लगाने गजरा सजाने। सुनो सखी मैं जा रही हूँ, सोलह सिंगार करने,उम्र ढली तो क्या…