जिन्दगी तू निशां पीढ़ियों तक बना
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** (रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२)जिन्दगी जी रहे जैसे कर दी खता,सब जियें पर न अगले ही पल का पता।उम्र जितनी मिली वो बितानी पड़े,चाह…