रौशनी की किरण

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** (रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२) रौशनी की किरण दे जमीं को गगन।नीर देती जमीं साथ होती पवनll लेन और् देन के खेल दोनों करें,सृष्टि-दस्तूर जो ये अदा सब करें।जिन्दगी भी निभाए ये दस्तूर तो,जिन्दगी में खिलेंगे सुखों के चमन।रौशनी की किरण… हाल बदला करे वक्त सबके यहाँ,वक्त की हो … Read more

नेह नीर का प्यासा पंछी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************** (रचनाशिल्प:मात्रा भार १६+१४=३०) नेह नीर का प्यासा पंछीआँगन-आँगन डोल रहा,मिले चोंच भर नेह कहीं सेअपने बंधन खोल रहा। रहा भटकता दर-दर पर मैंअपने मन की प्यास लिए,प्यास कहीं तो बुझ जाएगीमन में ये विश्वास लिए।आकुल मन में आस लगाएसबका हृदय टटोल रहा।नेह नीर का प्यासा पंछी,आँगन-आँगन डोल रहा…ll तड़प रहा कितनी … Read more

जीवन सत्य

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* सच्चाई की बात निराली,जीवन-सुमन खिलेंlअपनेपन से कर्म सँवारो,मंगलगीत मिलेंll करुणा का सागर छलकाओ,उर आनंदित होगा,हर इक पल में खुशी मिलेगी,मन उल्लासित होगाl पीर हरोगे यदि औरों की,धन्य करोगे जीवन,चहक उठेगें तन-मन दोनों,महकेगा घर-आँगनl मानव-सेवा,माधव-सेवा,यही धर्म सच्चा है,कर्मकांड में जो है खोया,वह मानव कच्चा हैl भौतिकता का मोह त्यागकर,आध्यात्म अपनाओ,झूठ,कपट तज,अंतर्मन … Read more

मन चंचल दिखलाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** कैसे तनदर्शी दर्पण को,अपना मन चंचल दिखलाऊँअपनी आँखों को अपनी ही,आँखों का काजल दिखलाऊँ। जागें आँखें तो देखें जग,सोयें तो देखें कुछ सपना।तन भी देखें मन भी देखें,पर देख न पायें मुख अपना।जो दृग न स्वयं की देखें छवि-कैसे विधि का छल दिखलाऊँ। ये आँखें नीर बहाती हैं,पर आँखें ही ये प्यासी हैं।ऊपर … Read more

जिन्दगी तू निशां पीढ़ियों तक बना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** (रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२)जिन्दगी जी रहे जैसे कर दी खता,सब जियें पर न अगले ही पल का पता।उम्र जितनी मिली वो बितानी पड़े,चाह वर्षों की ना एक पल का पता॥जिन्दगी जी रहे… जिन्दगी के गजब खेल अनजाने से,जिस हवा से चले साँस वो न दिखे।रक्त रग में बहे … Read more

ऐसे ही सारा संसार सजाना है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** हम एकसाथ बैठे जिस पर,वह नौका पार लगाना है,हो भारत एक श्रेष्ठ भारत,सपना साकार बनाना है। ऐसे ही भारत देशों से,सारा संसार सजाना है…॥ तन स्वस्थ रहेगा,स्वयं,हमें मन का उपचार कराना है…॥ करना कर्तव्य हमें भी यों,जन-मन में प्यार जगाना है…॥ जो हाथ थाम ले जनता का,ऐसी सरकार चलाना है…॥ जिस भव में … Read more

गर रात नहीं हो इस जग में

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** कल रात अंधेरा घना था लेकिन,भोर की आशा बाकी थी।जगे हुए इन नयनों में भी,कुछ जिज्ञासा बाकी थी॥ अंधियारे जब सृजित हुए तो,कुछ तो अर्थ रहे होंगे,या कुदरत की झोली में भी,कुछ पल व्यर्थ रहे होंगे।आखिर मैंने पूछा प्रभुवर,एक बात बतलाओ तो,काले गहन अंधेरों का कुछ,राज जरा समझाओ तो। क्यूँ निर्माण किया … Read more

सच्ची दीवाली

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** जिस दिन अंत:तमस मिटेगा,समझो सच्ची दीवाली।मानवता का भाव जगेगा,हृदय नही होगा खाली॥ दीन-दुखी की सेवा करते,समझो मन उनका सच्चा।लोभ मोह में फँसा रहे जो,उसका मन जानो कच्चा।प्रति पल मानुष हँसकर बैठे,प्रेम भाव की हो डाली।जिस दिन अंतः तमस मिटेगा,समझो सच्ची दीवाली…॥ फुलझड़ियाँ-सा रौशन कर दें,समता जग में फैलाये।मीठे पकवानों-सा रसमय,मधुर गीत … Read more

दीपों का त्योहार मना लें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. दीपों का त्योहार मना लें,मिल-जुल के सब दीप जला लें।देवी लक्ष्मी माता सुखों की,दे आशीष वो श्रद्धा जगा लेंlदीपों का त्योहार…ll धनतेरस और दीवाली में,जीवन के अंधियारे मिटते।सीताराम अयोध्या लौटे,मानवता को विजय दिला के।कोई दीन-दुखी ना छूटे,हर मन खुश हो दीवाली में।दीपों का त्योहार मना … Read more

तमसो मा ज्योतिर्गमय

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. दीपोत्सव पावन बेला यह,आओ विजयी दीप जलाएँ।चलो मिटाएँ अन्धकार जग,मुस्कान अधर खुशियाँ लाएँll संकल्प चित्त आश्वस्त ध्येय,जगमग-जगमग दीप जलाएँ।नवप्रकाश हम नवप्रभात बन,नव अरुणिम नव आश जगाएँ।तमसो मा ज्योतिर्गमय गाएँ। अवसादन बन महाव्याधि जग,घनघोर घटा बन जग छाये।आओ मिलकर एक भाव मन,सुखद शान्ति का दीप जलाएँ।तमसो … Read more