रौशनी की किरण
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** (रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२) रौशनी की किरण दे जमीं को गगन।नीर देती जमीं साथ होती पवनll लेन और् देन के खेल दोनों करें,सृष्टि-दस्तूर जो ये अदा सब करें।जिन्दगी भी निभाए ये दस्तूर तो,जिन्दगी में खिलेंगे सुखों के चमन।रौशनी की किरण… हाल बदला करे वक्त सबके यहाँ,वक्त की हो … Read more