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याद आता है मुझे…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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देखकर दूर
क्षितिज पर मिलता,
मुस्कराती शाम से
ढलता दिन।
याद आता है मुझे
उनसे वो पहला मिलन।

कड़कती बिजलियों से
मेरा वो डर जाना,
बरसते सावन की
बौछारों की मिट्ठी छुअन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…।

झील के किनारे
वो चाँद की चाँदनी रात,
हाथों में लिए हाथ
जब मिला था मन से मन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…।

छुप-छुप कर मिलना
वो छत पर हमारा,
महकता वो खिलता
मेरे मन का उपवन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…।

बांधती हूँ जब भी
चोटी में गजरा,
लगाती हूँ जब भी
नयनों में अंजन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…।

सौंप दिया मैंने
अपना सर्वस्व तम्हें,
अब मन न रहा मेरा
न रहा मेरा तन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…।

तुमने छुआ तो
जज़्बात जवां हुए,
बिछड़ गया मुझसे
मेरा भोला बचपन।
याद आता है मुझे,
उनसे वो पहला मिलन…॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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