लाल गुलाब

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुम जाती हो बगिया में जब-जब भी प्रियतम, और हास में खुल जाते हैं अधर तुम्हारे। हीन भावना से ग्रसित हो लाल गुलाब तब, गिनने लगता उस बगिया में असर तुम्हारे॥ सब कलियां शरमाती स्तब्ध सुमन हो जाते, परियां भ्रमित होकर अपनी मीत बुलातीं। देखो भ्रमर कानाफूसी करने लगते, लतिकायें … Read more

आज ज़रूरत है कबीर की

पवन कुमार ‘पवन’  सीतापुर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************** चाटुकारिता जिसे न आये, कविता में केवल सच गाये। झूठे आडम्बर को तजकर, ढाई आखर प्रेम सिखाये॥ चाहत है उस कलमवीर की, आज ज़रूरत है कबीर की॥ जिसके संघर्षों की गाथा, हर युग को नव पाठ सिखाये। तन के शुद्धिकरण से ज्यादा, जो निज मन को पाक बनाये॥ सच्चाई … Read more

मेरे भीतर मेरा क्या है

श्रीकृष्ण शुक्ल मुरादाबाद(उत्तरप्रदेश)  ***************************************************************** तन भी नश्वर मन भी नश्वर, जरा सोच फिर,तेरा क्या है नहीं आज तक जान सका मैं, मेरे भीतर मेरा क्या है। ह्रदय सतत् स्पंदन करता, हर पल हर क्षण चलता रहता साँसों के ताने-बाने को, क्या है साँझ,सवेरा क्या है। मन करता है सब कुछ पा लूँ सपनों को जीवंत … Read more

माँगता हूँ साथ तेरा ओ प्रिये

भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** माँगता हूँ मैं शिवा से,साथ तेरा ओ प्रिये, जिंदगी की साँस मेरी,मीत है तेरे लिये। थाम के तू हाथ मेरा,जिंदगी की चल डगर, मैं मुसाफिर हूँ सफर का,तुम बनो अब हमसफ़र॥ दे रहे अब शिव गवाही,सुन हमारे प्यार की, चाँदनी भी नेह की हो,प्रीत के श्रंगार  की। प्रेम की मूरत … Read more

मुस्कान

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** अधरों पर दिख जाती है बस,वो मुस्कान नहीं होती है, खिले अधर ही खुशियों की,सच पहचान नहीं होती है। भूखे बच्चों के हाथों में,गर एक निवाला होता है, दीन-दुखी की कुटिया उसका,सत्य शिवाला होता है। बहू-बेटियों के रक्षण का,जब संकल्प लिया जाता है। घर के बड़े-बुजुर्गों को भी,उनका मान दिया … Read more

अडिग हिमालय

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अडिग हिमालय लिये शिवालय, करता सबका आवाहन। त्याग करो प्रमाद द्वेष का, करो प्रकृति आराधन। नंदा देवी पंचाचूली, जीवन को हर्षित करती। नैना देवी आशीष हमें दे, नव संबल मन में भरती। जो भी आता है यहां प्रवास को, रम जाता है उसका मनll अडिग हिमालय…, कल-कल निर्झर मधुर स्वर, … Read more

नियति से हारा नहीं हूँ…

अनुपम आलोक उन्नाव(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** जलधि-सा उन्मुक्त मैं ! पर- चित्त से खारा नहीं हूँl चातकों-सी साधना है- नियति से हारा नहीं हूँll पीर! पर्वत बन भले ही- व्योम से कर ले मिताईl वेदना उमडे़,घुमड़ कर- श्वाँस से कर ले सगाईl पर न मानूँगा,करुँगा, कर्म का मैं यज्ञ पल-पल, जिंदगी भी रुठ करके- चाहे कर ले … Read more

ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता

भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** प्रीत की सुधा सबको चाहिए मगर, ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता। इश्क में डूबने की बात करते बहुत, कोई तूफां से लड़ना नहीं चाहता॥ शूल भरी राह को भी जब चुनना पडे़, तो हँसकर कदम मित्र बढ़ाते चलो। मंजिल दूर सही किंतु मिल जायेगी, लक्ष्य पे निरंतर निगाहें … Read more

देश की खातिर…

शरद जोशी ‘शलभ’ धार (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** देश की खा़तिर जिएँ हम,देश की ख़ातिर मरें, देश का गौरव बढे़ सब,काम हम ऐसे करें। आपसी मतभेद सारे,जो भी हैं हम भूल जाएँ, एक होकर हम सभी,इस राष्ट्र के ही गीत गाएँ। एकता हो देश में सब,काम हम ऐसे करें, देश की ख़ातिर…॥ जाति का अभिमान हो नहीं,रंग … Read more

श्रृंगार गीत का होता है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कंचन जैसे शब्दों का जब,सुख संयोजन होता है, मंगल भाव भरे हों जिसमें पुण्य प्रयोजन होता है। अंतस का नेह अगर हमको,नयनों में दिख जाए तो, और लेखनी अपनी पीड़ा,सहज सरल लिख जाए तो… ऐसे में फिर अंसुवन से,आभार गीत का होता है, ऐसे सफल प्रयासों से,श्रृंगार गीत का होता … Read more