उप्र में भी ‘खेला’ शुरू हो गया…?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** चुनाव के पहले सत्ता सुख की चाह में दलबदल भारतीय राजनीति में नई बात नहीं है,लेकिन देश में उप्र सहित ५ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव की शुरूआत में दल छोड़ने वाले विधायकों-मंत्रियों की सबसे ज्यादा संख्या अगर भाजपा में है तो इसके गंभीर राजनीतिक मायने हैं। उप्र में पिछड़ों के … Read more

चेतनाओं को विकसित करने वाला पर्व ‘संक्रांति’

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** जीवन के रंग (मकर संक्रांति विशेष)…. मकर संक्रांति भारतवर्ष का एक ऐसा बड़ा प्रसिद्ध त्यौहार है,जो अलग-अलग राज्य में भिन्न-भिन्न नामों से जाना ही नहीं जाता है, बल्कि कई तरीक़ों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है तो तमिलनाडु में पोंगल नाम है,जबकि गुजरात में … Read more

संसद और विस दृढ़ संकल्प कर लें तो अंग्रेजी की गुलामी तत्काल खत्म

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* गुजरात के उच्च न्यायालय में भाषा के सवाल पर फिर विवाद खड़ा हो गया है। एक पत्रकार विशाल व्यास ने गुजराती में ज्यों ही बोलना शुरु किया, जजों ने कहा कि आप अंग्रेजी में बोलिए। व्यास अड़े रहे। उन्होंने कहा कि मैं गुजराती में ही बोलूंगा। जजों ने कहा कि संविधान की … Read more

हिन्दी योद्धा:बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री

डॉ. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)************************************* जिन दिनों हिन्दी नवजारण के अग्रदूत कहे जाने वाले भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र, गद्य खड़ी बोली में लिख रहे थे,किन्तु कविता के लिए ब्रजभाषा को ही सबसे उपयुक्त मान रहे थे,उन्हीं दिनों बिहार के बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री ने कविता के लिए भी खड़ी बोली अपनाने का आन्दोलन चलाकर अपनी मौलिक और … Read more

किसानों को समृद्ध बनाने में बहुत कुछ करना बाकी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष….. अनादिकाल से ही सभी जगह धरती पर कृषि का प्रचलन है,साथ ही उस समय से ही कृषि कार्य करने वाले को कृषक कह कर पुकारने लगे। कालान्तर में साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में कृषक को भूमिपुत्र,हलधर,खेतिहर,अन्नदाता के अलावा किसान नाम से भी सम्बोधित किया।सर्वविदित है … Read more

किसने किस पर हद कर दी…!

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष….. हमारे देश के कृषक भी ऋृषि हैं कृषक भी तप करते हैं तपती धूप में,बारिश में। आंधी,तूफान व बाढ़ से जूझता है,अपने लहलहाते खलिहानों को प्रकृति की आपदाओं में तहस-नहस होते देख शांत भाव से देख कभी हौंसला नहीं गंवाया,न ही प्रकृति सौंदर्य को निहारने,संवारने … Read more

‘समाजवादी इत्र’ और इत्र का ‘भ्रष्टाचारी समाजवाद’..!

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** उत्तर प्रदेश के कानपुर से राज्य में विधानसभा चु्नाव के पहले ‘भ्रष्टाचार के इत्र’ की जो कहानियां सामने आ रही हैं,वो किसी परी कथा-सी हैं। इक्कीसवीं सदी के विदा होते इक्कीसवें साल में शबाब पर है,वो भ्रष्टाचार है। जो कुछ घट रहा है,वो किसी दिवा स्वप्न के ‘साकार’ होने जैसा है। मसलन … Read more

‘मितव्ययिता’ मतलब कंजूसी नहीं

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** हमारी संस्कृति में मितव्ययिता व दानशीलता का बहुत महत्व है। मितव्ययिता हमें जीवन में सादगी,संयम,अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण सिखाती है,तो दानशीलता हमें सिखाती है कि सद्कार्य के लिए आवश्यकता के समय पर जो भी संभव हो,जितना भी संभव हो,अवश्य दें।याद रखें मितव्ययी का मतलब कंजूस नहीं होता है,बल्कि अनावश्यक खर्च न … Read more

नई शिक्षा नीति:नए पंख,नया आसमान

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* भारतवर्ष का पौराणिक इतिहास इतना गौरवपूर्ण रहा है कि इसके जिस क्षेत्र की चर्चा की जाए,वही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट व्यवस्था मानी जाती रही है । जो इतिहास का सत्य भी है। भारतवर्ष में प्रचलित शिक्षा व्यवस्था १९७८ तक भारत वर्ष में शिक्षा का बहुत ही सीमित दायरा था- सिविल, मैकेनिक,इलेक्ट्रिकल,मैकेनिकल और … Read more

नागरी के अग्रदूत ‘जस्टिस शारदाचरण मित्र’

डॉ. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)************************************* हिन्दी के योद्धा:जन्मदिन (२६ दिसंबर)विशेष कलकत्ता में जन्मे,कलकत्ता में पढ़े-लिखे, कलकत्ता विश्वविद्यालय से एक ही वर्ष में बी.ए. और एम.ए. की परीक्षा देकर दोनों में प्रथम स्थान प्राप्त करके कीर्तिमान बनाने वाले,मात्र २१ वर्ष की उम्र में अंग्रेजी के प्राध्यापक और बाद में कलकत्ता में न्यायाधीश रहे जस्टिस शारदाचरण मित्र(१७ दिसंबर … Read more