श्रीकृष्ण चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- गुरु चरणों में है नमन,वंदन श्री भगवान। शारद माँ रखना कृपा,करूँ कृष्ण गुणगान॥ चौपाई- कृष्ण अष्टमी भादौ मासे। प्राकृत जीव वन्य मनु हासे॥ जन्मत मिटे मात पितु बंधन। प्रकटे निशा देवकी नंदन॥ लिए छबरिया में शिशु सिर धर। चले निहंग बदन पद पथ पर॥ मेह रात्रि जल यमुना बाढ़ी। पितु … Read more

बादल

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** अच्छे बादल सच्चे लगते। इधर उधर मतवारे उड़ते॥ सूरज को ढकने फिर आते। झुंड बना कर दौड़ लगाते॥ आपस में देखो टकराते। दाँत भींचते फिर लड़ जाते॥ रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे। बादल मन धरती पर तरसे॥ आओ मिलकर साथी खेलें। बादल की बूंदों को झेले॥ झट-पट कपड़े अपने … Read more

आओ हे गुरुवर

ममता बनर्जी मंजरी दुर्गापुर(पश्चिम बंगाल) ****************************************************************************** दोहा- आओ हे गुरुवर बसो,मन मंदिर में आज। बिन तेरे संसार में,बिगड़े सारे काज॥ रोला- बिगड़ै सारे काज,समझ में कछु नहिं आवै। मन में दु:ख संताप,सदा ही बढ़ता जावै॥ कहती ‘ममता’ नाथ,दया के हाथ बढ़ाओ। हर लो सब संताप,दया निधि गुरुवर आओ॥ कुंडलिनी- आओ हे गुरुवर बसो,मन मंदिर में आज। … Read more

किसान

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्रथम नमन तुमको हे हलधर। हरित किया तुमने ही भूधर। ब्रह्म सरिस तुम भूख मिटाते। ऊसर रज श्रृंगार सजाते। गाय बैल सब सखा निराले। दूध दही से भरते प्याले। बल और बुद्धि शुद्ध बनाते। बादल के तम्बू तन जाते। स्वेद रक्त से बन जब निकले। धरा हरित सोना तब उगले। … Read more

वर्षा

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** लगे सुहानी वर्षा प्यारी। मंद पवन की ठंडक न्यारी॥ छोड़ घोंसला पंछी भागे। पेड़ों पर नव पल्लव जागे॥ कहे पपीहा मीठी वाणी। छुप-छुप किया करे मनमानी॥ शीतल मंद पवन मदमाती। रवि किरणें तन- मन को भाती॥ क्षितिज कोहरा नभ धुँधलाता। हरा-भरा तृण हृदय लुभाता! काँटों बीच पुष्प मुस्काता। भौंरा जीवन गाथा … Read more

मौसम चुनाव का आया

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** नेता भए कृपाण दुधारी, चारों ओर भरम है भारी। पाँच बरस तक सुध नहिं आई, आज अचानक प्रीत लुटाई। नाना रूप धरे बहुतेरे, लगे लगाने घर-घर फेरे। जब मौसम चुनाव का आया, पल-पल नया रंग दिखलायाl जैसा जँचे रूप वो धारा, शरमाया गिरगिट बेचारा। राजनीति का खेल निराला, मुजरिम बन … Read more