मेंहदी
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६-१४ पदांत २२२)लगे मेंहदी है हाथों में,साजन के घर जाने को।खुशियों से आच्छादित आँगन,स्नेह सुधा बरसाने को॥ मन आह्लादित होता जब-जब,पिय की याद सताती है।आँखों में सपनों की माला,मुझको बहुत रुलाती है॥पी लेती हूँ आँसू अपने,खुद को ही बहलाने को,लगे मेंहदी हैं हाथों में… सावन की यह मधुरिम बेला,हिय में … Read more