कल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:मापनी-२१२२ २१२२,४ चरण का छंद है-दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में,२२,या २११ हो,चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है,३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य) काल से संग्राम ठानो! साहसी की जीत मानो! आज आओ मीत सारे! काल-कल बातें विचारे! सोच ऊँची बात मानव! भाव होवें मान आनव! आज है तो कल रहेगा! सोच … Read more

अमर रहे गणतन्त्र हमारा…

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… अमर रहे गणतन्त्र हमारा, जन-गण-मन का नारा है। आसमान पर देख तिरंगा, विश्व गगन का तारा हैll सदियों से हम ठोकर खाएँ, मिली आज आजादी ये। चलो सहेजें अपनी धरती, अब मत हो बर्बादी येll वसुंधरा माँ की आँचल को, हमने आज सँवारा है। … Read more

प्यारा वतन

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… हमें वतन से प्यार बहुत है, हम इसके रखवाले हैं। भारत माता के बेटे हैं, हम सच्चे दिलवाले हैं॥ वतन के लिए जीना हमको, सब-कुछ वतन हमारा है। मातृभूमि की रक्षा खातिर, मरना हमे गवाँरा है॥ वतन हमारी आन-बान है हैं हम सब हिंदुस्तानी। उसका अस्तित्व … Read more

जब बालक थे…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** याद करो जब बालक थे हम संशय का यह भाव नहीं था, थीं खुशियाँ भरपूर किसी जन से तब हाय दुराव नहीं था, उम्र बढ़ी मन खिन्न रहे उर कष्ट भरा यह घाव नहीं था, खेल व कूद रहे मन में तब जीवन का उलझाव नहीं था। परिचय-वकील कुशवाहा … Read more

हंसवाहिनी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* हंसवाहिनी मात शारदे, कर दो तुम उजियारा। ज्ञानज्योति जला दो जग में, मिट जायअंधियारा॥ वीणापाणि पद्मासना माँ, हमको राह दिखाओ। विद्यादायिनी माँ शारदा, तम अज्ञान हटाओ॥ पुस्तकधारिणी माँ भारती, करु प्रार्थना तेरी। हे धवलवस्त्रधारिणी मात, हरो दुर्बुद्धि मेरी॥ शिवा अम्बा वागीश्वरी माँ, हम मानव अज्ञानी। रूपसौभाग्यदायिनी अम्ब, वरदान दो भवानी॥ … Read more

संघर्ष

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ये जीवन एक संघर्ष है, हार कभी न मानिए। लड़ो लड़ाई अंत समय तक, स्वयं को पहचानिए॥ तैयारी तुम रखो हमेशा, इसे चुनौती मानिए। जीवन के इन संघर्षों में, हार न स्वीकारिए॥ जीवन की कठिन परीक्षा में, निराशा को त्यागिये। हिम्मत और हौंसला रखकर, अपना कद बढ़ाइए॥ संघर्ष हमारे शिक्षक … Read more

जीवन इसका नाम

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** जीवन को तुम जीना सीखो,किस्मत को मत कोस। खुद बढ़ कर तुम आगे आओ,और दिलाओ जोश॥ सुख-दु:ख दोनों रहते जीवन,हिम्मत कभी न हार। आगे आओ अपने दम पर,होगी जय जयकार॥ सिक्के के दो पहलू होते,सुख-दु:ख दोनों साथ। कभी गमों के आँसू बहते,कभी खुशी हैं हाथ॥ राह कठिन पर … Read more

देश हमारा

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** युगों-युगों से कहते आये, हिन्दुस्तान हमारा है। देश हमारा सबसे प्यारा, विश्व गगन का तारा है॥ ज्ञान और विज्ञान यहीं से, सब देशों ने पाये हैं। इसकी महिमा ऋषि-मुनियों ने, वेद शास्त्र में गाये हैं॥ गंगा यमुना और नर्मदा, बहती सुन्दर धारा है। देश हमारा सबसे प्यारा… आज … Read more

करें गाँव की सैर-बहारें

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… (रचनाशिल्प:१६/१४-पदांत २२२) आई गर्मी की छुट्टी है, चलो मनाएं मस्ती में। दूर कहीं जा कर सागर में, घूमें-नाचें कश्ती में॥ सैर-सपाटा करें साथ में, मिलकर के सारे बच्चे। नहीं किसी से बैर हमारा, हम तो हैं मन के सच्चे॥ आम बौर खिल … Read more

शहर की ओर घूम आऊँ…

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’  बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… ‘बड़े दिन की छुट्टी’ है, शहर की ओर घूम आऊँ। ऊंचे-ऊंचे मकान है, लंबी सड़कें देख आऊँ। बड़े दिन की छुट्टी है, शहर की ओर घूम आऊँ। रंग-बिरंगी चुनरियाँ है, कपड़ा मार्केट देख आऊँ। बड़े दिन की छुट्टी है, शहर की ओर घूम … Read more