कल
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:मापनी-२१२२ २१२२,४ चरण का छंद है-दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में,२२,या २११ हो,चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है,३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य) काल से संग्राम ठानो! साहसी की जीत मानो! आज आओ मीत सारे! काल-कल बातें विचारे! सोच ऊँची बात मानव! भाव होवें मान आनव! आज है तो कल रहेगा! सोच … Read more