हिन्दी भाषा

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. विस्तार करें हम जन-जन तक, हिन्दी भाषा का। हिन्दी पढ़ें-बढ़ें, कदम-कदम पर मिले ज्ञान हिन्दी। भारत की बुलंदियों पर रोशन हो,…

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छोटे-छोटे हाथ जोड़कर

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** छोटे-छोटे हाथ जोड़कर,प्रभु को शीश झुकाता हूँ। पूजा-पाठ न जानूँ भगवन,लड्डू भोग चढ़ाता हूँll ज्ञान बुद्धि के दाता हो तुम,संकट सब हर लेते…

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कलयुग

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* (रचनाशिल्प:३ चौकल+लघु गुरु। सम पाद मात्रिक छंद। प्रति चरण में १५ मात्राएँ।) झूठे वादे मिलता ताज। कैसे सपने देखे आज॥ सच्चा धक्के खाता जाय।…

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ध्वज यश फहराया संसार

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. (रचना शिल्प:छंद-लक्षण:जाति,अर्ध सम मात्रिक छंद,प्रति चरण मात्रा ३१ मात्रा,यति १६-१५,पदांत गुरु गुरु,विषम पद की सोलहवीं मात्रा गुरु…

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सबक सिखा दो…

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. आतंकवादियों को भेज सदा, तंग करता रहता पाकिस्तान। घुसपैठियों को सबक सिखा दो, ऐ भारत के वीर जवान। आपस…

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हे माँ,मुझको ऐसा वर दो

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** हे माँ मुझको ऐसा वर दो। मैं व्याकुल हूँ संताप हरो। स्वीकार करो अम्बे मुझको। आया चरणों में मातु सुनो॥ ले लो सुध माँ मैं…

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किसान

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्रथम नमन तुमको हे हलधर। हरित किया तुमने ही भूधर। ब्रह्म सरिस तुम भूख मिटाते। ऊसर रज श्रृंगार सजाते। गाय बैल सब सखा निराले। दूध…

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जय माता दी

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** माता को नमन कर, चरणों में शीश धर। माता का आशीष पा के, खुशियां मनाइये॥ ज्ञान का भण्डार देगी, खुशियां अपार देगी। सपने साकार कर,…

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ऋतुराज

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* गीत गुनगुनाये सांझ ढलते-ढलते मंद ध्वनि तरंगें। खिला गुल-गुलशन खुशबू बिखरी मंद मौसम हुआ मलन्द। भीगी यादें कुछ मन तरंगों में भूली-सी बातें। बरखा महकी…

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जीना सीखो

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** जीवन को तुम जीना सीखो,हर पल खुशी मनाओ जी। चाहे कितने संकट आये,कभी नहीं घबराओ जी॥ सिक्के के दो पहलू होते,सुख-दु:ख आनी-जानी है।…

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