दिखी घाटी में मुस्कान

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** सालों,सालों में दिखी, घाटी में मुस्कान। पाथर भी गाने लगे, आज नेह के गान॥ गीत नेह के भर गये, ऊँचा माँ का भाल। हरियाली घाटी हुई, जो थी खूं से लाल॥ एक हमारा ध्वज हुआ, उपजा एक विधान। जग में उजली हो गई, भारत की पहिचान॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक … Read more

मन की शक्ति

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मन के हारे हार है,मन के जीते जीत। मन में दृढ़ संकल्प हो,बने वही फिर मीत॥ मन तो एक तरंग है,बहता है दिन-रात। रुके नहीं रोके कभी,बनती कैसे बात॥ पंछी जैसी चाल है,करे नहीं आराम। मन ऐसा है बावरा,फिरता सुबहो-शाम॥ मन चंचल तन सारथी,चलते हैं दिन रैन। रोके … Read more

सावन सरस सुजान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सावन श्रंगारित करे,वसुधा,नारि,पहाड़। सागर सरिता सत्यशिव,नाग विल्व वन ताड़ll दादुर पपिहा मोर पिक,नारी धरा किसान। सबकी चाहत नेह जल,सावन सरस सुजानll नारि केश पिव घन घटा,देख नचे मन,मोर। निशदिन सपन सुहावने,पिवमय चाहत भोरll लता लिपटती पेड़ से,धरा चाहती मेह। जीव जन्तु सब रत रति,विरहा चाहत नेहll कंचन काया कामिनी,प्राकृत मय ईमान। … Read more

कस नकेल अरि आन्तरिक

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अरि अवसर की ताक में,यायावर चहुँओर। है भुजंग खल देश के,डँसते बनकर चोरll हालाहल विषकुंभ बन,बने मान जयचंद। वतन विरोधी दे बयां,आतंकी अभिनंदll कुलांगार घूमें वतन,बन द्रोही निर्लज्ज। बुला रहे दुश्मन यहाँ,साजिशें रच सज़्जll दे पनाह नापाक को,कर सत्ता सुखभोग। अरबों को हैं लूटते,राष्ट्र प्रगति बन रोगll छोटे … Read more

प्यास

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जाके दिल में हो सदा,नेह स्नेह की प्यास। बबुआ उनसे राखिये,अपनेपन की आस॥ बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जो बड़पन न आय। जैसे सागर तीर से,बबुआ प्यासो जाय॥ नीति नियत सब ठीक हो,करिये सत्य प्रयास। बबुआ वैसी तृप्ति हो,जैसी मन में प्यास॥ भूख लगे रोटी मिले,प्यास लगे तो नीर। मालिक इतना … Read more

लिखे कुशलता के कई अध्याय

श्री संजीवक ********************************************************* शारद सुता विदा हुई,माँ शारद के लोक, धरती माँ स्तब्ध है,चाह न सकती रोक। सुषमा से सुषमा मिली,कमल खिला अनमोल, मानवता का पढ़ सकीं,थीं तुम ही भूगोल। गर पीड़ित की मदद कर,रचा नया इतिहास, सुषमा नारी शक्ति का,करा सकीं आभास। पा सुराज लेकर विदा,है स्वराज इतिहास, सब स्वराज हित ही जिएँ,निश-दिन किए … Read more

धरती पर कश्मीर जन्नत

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** धरती पर कश्मीर था,जन्नत स्वर्ग समान। कुछ जालिम शैतान ने,बना दिया शमशानll चढ़ा दिया था नेहरू,कश्मीरी को ताड़। मोदी बोले चल उतर,हो भारत सँग ठाढ़ll झेला सत्तर साल तक,हमने नित आतंक। जालिम तो देता रहा,सदा डंक पे डंकll छुपे हुए जो देश में,भारत का गद्दार। मोदी जी कर दीजिए,उसका … Read more

बना रखो व्यवहार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** रौशन- रौशन हो सारा जहाँ,रौशन हो परिवार। कर्म करो ऐसा सभी,अच्छा हो संस्कारll व्यवहार- बना रखो व्यवहार को,खुश होवे सब लोग। नाम नहीं बदनाम हो,ऐसा मत हो जोगll कण्ठ- वाणी निकले कण्ठ से,मीठी हो भरपूर। अमृत वचन समान हो,सुनने को मजबूरll आँसू- तड़पे जब मन प्रेम में,आँसू निकले … Read more

हटी तलाकी कालिमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** पास हुआ तलाक बिल,खिले अधर मुस्कान। इस्लाम बहू बेटियाँ,कानूनी सम्मानll नामर्दी तलाक तीन,नारी दोहन अस्त्र। ध्वस्त आज अपराध बन,कानूनी बह्मास्त्र॥ नारी गृह सम्मान है,बेटी बहू व अम्ब। नहीं खिलौना मर्द की,जीवन का अवलम्ब॥ आज मुक्त नरवेदना,नारी हैं इस्लाम। इल्म यान उड़ व्योम में,प्रगति पंख अभिराम॥ तीन तलाक के … Read more

नापाकी तज स्वार्थ मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** झूठ कपट कलि अस्त्र से,हारा अब परमार्थ। राष्ट्रद्रोह फन तान कर,राजनीति डस स्वार्थll वतन परस्ती में फ़िदा,देते जान जवान। बन प्रबुद्ध द्रोही वतन,घूम रहे शैतानll लानत है उस जिंदगी,रह खाते जिस देश। देश तोड़ने में लगे,दे नफ़रत संदेशll लाभ उठा मासूमियत,दीन-दुखी इन्सान। जाति धर्म भाषा विविध,लड़ा रहे शैतानll … Read more