वेणी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** नारी वेणी से सजे,पावन है श्रृंगार। बाल कटाने की प्रथा,बंद करे संसारll बंद करे संसार,धर्म नहिं बाल कटाना। नारी शोभित केश,रूप को सब है जानाll कहे `विनायक राज`,आज मत हो लाचारी। गूँथे वेणी रोज,दिखे सुंदरता नारीll

जनसंख्या

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** देखो कैसे बढ़ रही, जनसंख्या विकराल। अगर नहीं रोका गया, बन जायेंगे काल॥ बन जायेंगे काल, परेशानी तब भारी। कुछ तो करो खयाल, होय नहिं अब लाचारी॥ कहे ‘विनायक राज’, समझदारी हो ऐसे। आत्म नियंत्रण आज, होय फिर देखो कैसे॥

कैसे हो मुस्कान ?

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** राम-किसन के देश का, कैसा बुरा हाल। युवक चल रहे शान से, टेढ़ी-मेढ़ी चाल॥ टेढ़ी-मेढ़ी चाल, नशे का लगा रोग है। घर का बुरा हाल, दुखी से सभी लोग हैं॥ कह ‘सागर’ कविराय, नशे के आदी बन के, कैसे हो मुस्कान, देश में राम-किशन के॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर … Read more

मँहगाई

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मँहगाई की मार से, सारा जग बौराय। राशन आटा भाव तो, आसमान छू जाय॥ आसमान छू जाय, करे क्या समझ न आता। क्या होगा घर-द्वार, सोच मन है घबराता॥ कहे ‘विनायक राज’, देख दुनिया हरजाई। छोटा रख परिवार, नहीं होगी मँहगाई॥

गुणी है अतिशय तुलसी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुलसी अदरक डाल के, काढ़ा बनता खास। सर्दी रहती दूर ही, मिटती कंठ खरांस॥ मिटती कंठ खरांस, शीत भी डर जाती है। और साँस में नवल, ताजगी भर जाती है॥ कह सागर कविराय, रहेंगी साँसें हुलसी। कहते सारे वेद, गुणी है अतिशय तुलसी॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म … Read more

नारी शक्ति

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** नारी जीवन दायिनी,नारी से संसार। नारी से घर द्वार है,नारी मूरत प्यार॥ नारी मूरत प्यार,सजा रख दिल में अपने। शक्ति बिना नहिं होय,कभी पूरे ये सपने॥ कहे विनायक राज,दिलाना हक है उनका। मान और सम्मान,सुखद नारी जीवन का॥

नारी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नारी जग का सार है,नारी ही आधार। बिन नारी सब सून है,ममता काआगार॥ ममता का आगार,रहे वह सब पर भारी। पावन है हर रूपशक्ति स्वरूपा नारी॥ नारी हृदय विशाल है,ईश्वर का है रूप। देती सबको प्यार है,उसकी शक्तिअनूप॥ उसकी शक्तिअनूप,वह रखती है खुशहाल। उसके रूप अनंत,है हर इक रूप विशाल॥ … Read more

बाल श्रमिक

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** बाल श्रमिक अभिशाप है,करते बच्चे काम। मजबूरी सर है चढ़े,सभी गरीबी नाम॥ सभी गरीबी नाम,पेट के खातिर कहते। दुख-पीरा को आज,देख लो कैसे सहते॥ कहे विनायक राज,धरा पर दुख हैं पाते। जीने को लाचार, बाल श्रमिक कहे जाते॥

हिन्दी भाषा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हिन्दी हिन्दुस्तान की,भाषा मात समान। देवनागरी लिपि लिखें,सत साहित्य सुजान। सत साहित्य सुजान,सभी की है अभिलाषा। मातृभाष सम्मान,हमारी अपनी भाषा। सजे भाल पर लाल,भारती माँ के बिन्दी। भारत देश महान,बने जनभाषा हिन्दी। भाषा संस्कृत मात से,हिन्दी शब्द प्रकाश। जन्म हस्तिनापुर हुआ,फैला खूब प्रभास। फैला खूब प्रभास,उत्तरी भारत सारे। तदभव-तत्सम शब्द,बने नवशब्द … Read more

दीप पर्व

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* माटी का दीपक लिया,नई रुई की बाति। तेल डाल दीपक जला,आज अमावस राति। आज अमावस राति,हार तम से क्यों माने। अपनी दीपक शक्ति,आज प्राकृत भी जाने। कहे लाल कविराय,राति तम की बहु काटी। दीवाली पर आज,जला इक दीपक माटी। दीवाली शुभ पर्व पर,करना मनुज प्रयास। अँधियारे को भेद कर,फैलाना उजियास। फैलाना … Read more