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नववर्ष

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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वर्ष पुराना हो गया,आने को नववर्ष।
स्वागत को तैयार है,सबका हो उत्कर्षll
सबका हो उत्कर्ष,होवे नयाअफसाना।
भूल पुराने गीत,गाय सब नया तरानाll
कहत नवल कविराय,सभी को मिले ठिकाना।
खुशियां मिले अपार,विदा हो वर्ष पुरानाll

आगे जीवन में बढें,मन हो एक समान।
नवविचार से युक्त हों,दूर होय अभिमानll
दूर होय अभिमान,क्रोध व मोह भी छूटे।
बढ़े सदा सदभाव,प्रेम का तार न टूटेll
कहता कवि नवनीत,ईर्ष्या भाव को त्यागे।
सबके मन हों एक,रहें हम सबसे आगेll

जीवन में नवगीत हो,नई ताल नवछन्द।
नई सुबह नववर्ष की,रचें नए पदबन्दll
रचें नए पदबंद,बने संगीत हमारा।
लय में हो सब गीत,सजे यही सुर प्याराll
कहत नवल कविराय,ऊंच-नीच न हो जग में।
भेद पुराने भूल,नव स्पन्दन जीवन मेंll

भूलें पिछली याद को,करें नई शुरुआत।
नव चिन्तन आगाज हो,नव रश्मियुक्त प्रभातll
नव रश्मियुक्त प्रभात,सभी में हो मानवता।
नव ऊर्जा से युक्त,सभी में हो पावनताll
कहता कवि करजोरि,नई ऊंचाई छू लें।
निकल गया जो काल,अभी उसको सब भूलेंll

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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