बसंत आया

प्रभावती श.शाखापुरे दांडेली(कर्नाटक) ************************************************ काले बादल, झूम-झूम बरसे- धरती परl वर्षा की मस्ती, ले कागज की कश्ती- चल घूमें रेl रंग-बिरंगे, छाते जो काले नीले- लागे सुंदरl ओस की बूँदें,…

0 Comments

उठता धुआँ..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कर बंदगी- धुआँ बन उड़ती, यह जिंदगीl कर तू दुआ- न जले कोई घर, न उठे धुआँl उठता धूम्र- दूषित होती हवा, घटती…

0 Comments

ख़त….

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ ख़ामोश लब- लिखे हुए खतों में, छुपा है दर्द। मधुर स्मृति- बंद लिफ़ाफ़े में हैं, सुर्ख़ गुलाब। न कोई बात- चेहरा है बुझा-सा,…

0 Comments

माखन चोर..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ माखन चोर- चुरा दिल राधा का... है चितचोर। सुहानी भोर- भक्त के हृदय बसे... मुकुट मोर। मुरलीधर- राधा बिन अधूरे... प्यासे अधर। सुनने…

0 Comments

होलिका दहन

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ पर्व अनूठा होलिका दहन का, कोई न रूठा। बजे मृदंग मिल के खेलें हम, होली के रंग। गौरी के गाल कोई मल नहीं…

0 Comments

नैनों में ‘नीर’…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ नैनों में 'नीर', कौन समझता है मन की पीर। वक्त की मार, हर पल बहती अश्रु की धार। घाव गंभीर, बेदर्द है ज़माना…

0 Comments