करे जागृत

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ‘कविता’ तो हैजीवन की सरिताभाषा की नदी। ‘कविता’ ज्ञानमन से मन जोड़तीस्त्रोत महान। स्वर ‘कविता’बोलती हृदय सेविचार-भाव। करे ‘कविता’सदा आत्मा जागृतदेती है शिक्षा। शब्द सौन्दर्यरचती कई गुण‘कविता’ खान। आदर्श यह‘कविता’ संगीत भीमूल्य खजाना। ये सम्वेदनासुनाती हर पीड़ाखुशी ‘कविता’। जरिया यहदिल से दिल तकरस ‘कविता’। जग भावना‘कविता’ से दुनियाप्रेम-प्रार्थना॥

बरसा रंग खूब

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* रंग हमारेहैं एकदम पक्केचढ़े प्यार से। रंगीन तुमरंगी रंगों में मैं भीमनाएं होली। फागुन आयाबरसा रंग खूबहुए रंगीन। मनभावनहोली के सभी रंगलगे अपने। खेलेंगे सबमनभावन होलीमिलेंगे सब॥ परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी … Read more

जगत के रक्षक

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:५-७-५ अक्षर के क्रम में ३ पंक्तियां प्रति पद… भगवान हैं,जगत के रक्षककण-कण में। रूप बदलें,प्रभु रक्षक बनक्षण-क्षण में। पहचानना,मुश्किल है उनकोसबके लिए। ईश्वर रहें,मात-पिता बन केदिखें सबको। लगन, श्रृद्धा,त्याग, प्रेम, विश्वासउनके धाम। प्रभु सजते,जब मन भजताश्री राम नाम। मैंने देखे हैं,देख लेंगे आप भीबुलाइए तो। बिन स्वार्थ के,मूरत को … Read more

विश्वास

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** दुखी मानवसब कुछ पाकरसंघर्षशील। भूल हमारीसुधरेगी अवश्यविश्वास बन। महक उठाघर-आँगन मेराबगिया तुम। राम स्मरणसदा बना रहताबता न सकूं। मन हमारामहत्वाकांक्षी बड़ामानें न हम। मन हारेगातुम्हारे विचारों सेसंभालो इसे। रघुनंदनदशरथ के लालजय श्री राम। राम पधारेबीच हम सबकेजागा भाग्य है। आस बंधी थीसबके हृदय मेंआएंगे राम॥ परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का … Read more

निराला गणतंत्र

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जीवन मंत्रभारत का निरालाहै गणतंत्र। जिम्मेदार होनिभाएं देश धर्मउदारता हो। हुई बर्बादीना भूलें बलिदानमिली आजादी। शान तिरंगाअनेकता-एकतामान तिरंगा। चमके देशफैलाएं हर ख़ुशीहो ये विशेष। भूखा न सोएऐसी हो प्रगतिकोई ना रोए। सबको कामसब सहभागी बनेंहो ऐसा काम। करें भू रक्षावीरता सदा रहेयही हो शिक्षा। नियम पालेंसंविधान नहीं तोड़ेंसाथ में चलें। सम्मान रहेवतन … Read more

अद्भुत रत्न

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बहन बेटीइनको ही सम्भालेंअद्भुत रत्न। है ये आलोककरती फ़िक्र सदासम्भाले लोक। है अरूणिमाहर रूप में सेवाबेटी, कभी माँ। बेटी महानपाती जब शिखरबढ़ता मान। निभाती रीतिजोड़ती हर कड़ीबढ़ाती प्रीति। वीरांगना हैजब आती विपदाहोती गम्भीर। मूर्ति ममताहर गम सहतीरखे समता। देखती ख़्वाबफैलाए स्वयं पंखउड़े नभ में। देनी है शिक्षाबढ़ाए कुल मानयही हो रक्षा। समझो … Read more

रहा नहीं भरोसा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** छोड़ देता हैघर को बेटा आज़पत्नी के लिए। बेचारा बापजीवन की गठरीउठाए कैसे ? माँ बस रोतीकाश! मेरी औलादऐसी न होती। सुखी न दिखापाला जिसे खून सेउसी का दुःख। रिश्ते बेगानेरहा नहीं भरोसाकोई न माने। मन है पुष्पमांगते हैं बंधनखुशी की धूप। खुशी चाहिएतोड़ हर दीवारसाथ आइए। हो यूँ जीवनसागर जैसा बड़ारिसे … Read more

करें स्वागत

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा विशेष… सबके रामविराजमान होंगेबना है धाम। प्रवेश नयाराम बसे मन मेंरखना दया। नव प्रवेशझूम उठी अयोध्यामुस्काए देश। है कायाकल्पइतिहास बदलालिया संकल्प। मन में खुशीधन्य हुआ जीवनचहका मन। प्रभु सहारान कोई भेदभावहै भाईचारा। करें स्वागतजय जय श्री रामपधारे प्रभु। अभिनंदननई किरणों संगकरें वंदन। साँस में रामदेखे सकल विश्वराम ही धाम। … Read more

रखें आशाएँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** नव वर्ष विशेष… रखें आशाएँजीवन खेल नयाये समझाए। हो हँसी-खुशी,रिश्ते हो जिंदादिलहो प्रेम-शांति। मन न सूखेमुस्काए हर डालखिलता जाए। मिटे दूरियाँहो जाए सब भलाटले विपदा। बढ़ाओ प्रीतभुला दो रंज सारेबनाओ मीत। हो नए ख़्वाबकरें खूब परिश्रमहों आफ़ताब। है नई भोरजगाओ अलख तुमइस जग में। नहीं हो मैलसाथ चलें हमेशाहो तालमेल। करें प्रार्थनाहो … Read more

हूँ मौन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** है तो बहुतदर्द सुनाएँ किसे ?पर हूँ मौन। बिखरा घरयूँ गुजरी जिन्दगीलगी नजर।  बिखरे रिश्ते  सब थे मुरझाएजा मिलें कब ? आसमां थे वोकब हाथ छुड़ाया मेरे नहीं जो। नहीं पूछूंगा हाल दिल का कभी जा किया मुक्त॥