बारिश

डॉ.सरला सिंह दिल्ली *********************************************** बारिश की बूंदों के मोती, नवजीवन बन बरस रहे। जन-जन की पीड़ा हरते, तप्त धरा हैं शीतल करते। झुक-झुक करते धन्यवाद, वृक्षों के समुदाय समस्त। नदियों…

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आरती

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* आरती श्रद्धा-विश्वास स्रोत है, भक्ति-शक्ति से ओतप्रोत है। जो आरती हृदय समाता है, पत्थर भी पूज्य हो जाता है। आरती शक्ति का मन्त्र है,…

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रिश्ता

कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ दौसा(जयपुर ) *************************************************** पूज्य पिता जी की बाँहों में, जीने का किरदार छिपा हैll ममतामई माँ के 'रिश्ते' में, अमर प्रेम संसार छिपा हैll बहिना के…

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पृथ्वी पर बचे रहें उनके चिन्ह

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** जब देखती हूँ मैं उगते सूरज को, उनकी बेचैनी उनकी तड़प, उनकी जीने की चाहत और दीनता उनकी अंधेरे से लड़ाई, सबका सब…

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पत्ते की व्यथा

दुर्गेश राव ‘विहंगम’  इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** तरु से गिरा पत्ता तल में आ गिरा तरु के, समीर के संग, उड़ता चला जाए नहीं चलती कोई सत्ता, राह में धूल से लपेटे…

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बेटी की गरिमा

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** बेटी आन-बान-शान है, बेटी से विश्व महान है। वात्सल्य रस में भी बेटी, माता-पिता का रखती ख्याल नन्हें-नन्हें हाथों से, पिता को पानी देती नन्हें-नन्हें हाथों…

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कहाँ से लाऊँ वो शब्द ?

ऋतुराज धतरावदा इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* नहीं जानती है तू कहाँ तक फैला है तेरा वजूद, फूलों की खुशबूओं दिल तक छूते हर इक स्पर्श, गोधूली से नहाती साँझ चौके से उठती…

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ज़िंदगी का सफर

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ कुछ इस तरह मैंने... ज़िंदगी के सफर को, खुशनुमा बना लिया....। मुश्किल था यूँ चलना, इसे आसां बना लिया...। हर कदम पर थी ठोंकरें,…

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मोहर

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** अजीब-सी रीत है, हर काम करने के पहले लगवानी पड़ती है, तुम्हारी स्वीकृति की मोहर। तुम हाँ कहो, तभी कदम आगे बढ़े मेरे वरना कदम…

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मै भी एक पेड़ हूँ

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’  बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** गली-गली में मैं हूँ,छाया तुम्हें देता हूँ। खेतों के पार मैं हूँ,वर्षा भी कराता हूँ। शीतल हवा देता हूँ,चुपचाप मैं रहता हूँ। देखो भाई…

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