हाँ हूँ एक बुरी माँ

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’  भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ कैसे सिखाऊं अपनी बेटी को 'बर्दाश्त' करना...! एक ऐसे परिवार को जो उसका 'सम्मान' न कर सके..., कैसे सिखाऊं कि पति की ठोकर खाना…

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ये तपती धरती..

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** गर्मी का वार हो रहा है, पारा पचास से भी पार हो रहा हैl लू के थपेड़े पड़ रहे, बढ़ रही गर्मी तप रही धरती भानु…

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काश ऐसा हो!

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* काश कालिमा मिट जाये,रवि-सा उजियारा छा जाये, भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl यों तो यह अपना देश कभी,धार्मिक तत्वों का वेत्ता था, दुष्कृत्यों…

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वह कौन है…

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** हवाओं की रवानगी थी, मेरी रफ़्तार भी कुछ तेज थी मौसम खराब का अंदेशा था, थोड़ा मन डरा हुआ था। हर कदम पर कोई पीछा कर…

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अंतरिक्ष स्वप्न

श्रीमती पुष्पा शर्मा ‘कुसुम’ अजमेर(राजस्थान) **************************************************** यह कलियुग है, और कलयुग भी। नित नूतन यंत्रों का आविष्कार, पल-पल होता परिष्कार। इनके बल पर ही देखे जाते, अंतरिक्ष में उड़ने के…

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पेड़ लगाओ-जीवन बचाओ

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** प्रकृति को सहेजने को अब सब मिल के तैयार हों, विनाश ना हो प्रकृति का,यह प्रयास बार-बार होंl जागो सभी बचाओ अब इस सृष्टि के…

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कुछ नया सोचते हैं

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* जीवन के नये सफ़र में मेरे जीवनसाथी, लेकर हाथों में हाथ चलो! आज कुछ, नया सोचते हैं। जो तुमसे या मुझसे पहले, कभी किसी ने…

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मेरे अहं

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* मेरे अहं ! मेरे और तुम्हारे बीच लगातार... चलता रहता है घोर युद्ध... जिसमें अच्छी लगती है, तेरी पराजय मुझको... मेरे अहं! तुम नहीं…

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माटी की गुड़िया

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** मैं माटी की गुड़िया हूँ, मिट्टी में मिल जाना है। माना शक्ल मेरी भी थी, कहते लोग खजाना है। सुंदर आँखें,गोरा रंग था, लटें…

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कल,आज और कल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जो कल हमपे है बीत चुका, उस कल की फिर क्यूँ चाह करें। जो कल हमने देखा ही नहीं, उस कल के लिए…

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