सीमाएँ जब टूटती हैं…

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** सीमाएँ जब टूटती हैं, बनी हुई मूरत को जब हथौड़े से तोड़ा जाता है, सदियों पुरानी मूरत पहले झेलेगी छोटे-छोटे वार, असंख्य प्रहारों…

Comments Off on सीमाएँ जब टूटती हैं…

श्रद्धांजलि…सूरत के लाल

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ जला सूरत,तस्वीर थी बदसूरत, प्रशासन था मौन,कैसी ये फितरतl झुलस गए मासूम,माँ उसको निहार रही, हड्डी के ढांचों में ममता निढाल विलाप रही। आग बुझी…

Comments Off on श्रद्धांजलि…सूरत के लाल

कैसे लिखूँ प्रेम गीत मैं

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** अनय अधर्म का वर्चस्व चतुर्दिक प्रबल हो रहे अन्याय अत्याचार है, कवि! कैसे मान लूँ तेरे कहने पर प्रेममय यह मानव का संसार है? पशुत्व पूजित…

Comments Off on कैसे लिखूँ प्रेम गीत मैं

कौन देगा हिसाब ?

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* फिर जल गई कई जिंदगी, कौन देगा हिसाब... बस ढोलेंगे जिम्मेदारी, कौन मानेगा अपनी गलती ? लील गई लापरवाही की आग, मौत से बचने कॆ…

Comments Off on कौन देगा हिसाब ?

जीवन में माधुर्य लुटाये,वो कविता होती है

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** शब्दों का मधुर गुंजन कविता होती है, भावना की अभिव्यक्ति कविता होती है। छन्द मात्रा लय ताल सुर कविता होती है, जीवन में माधुर्य लुटाये वो…

Comments Off on जीवन में माधुर्य लुटाये,वो कविता होती है

माँ

डीजेंद्र कुर्रे 'कोहिनूर' बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** ममतामयी माँ तुझ पर जान न्योछावर है, एक झलक पाने के लिए नयन तरसे हैं। तू छोड़कर कहां चली गई माँ, तेरी यादों के…

2 Comments

बचपन सुहाना

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** बचपन था कितना सुहाना, गमों से था मैं तब अनजाना मानता था मैं पिता का कहना, पढ़ना खेलना और मौज मनाना। बचपन था…

2 Comments

मन

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** मन चंचल है तू इतना बेचैन क्यों है मन, किस और भटक रहा है मन... घूम रहा है सपनों के संसार में ए मन, लौट कर…

Comments Off on मन

हे भगवान,करो कल्याण

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हे भगवान करो कल्याण, हम बच्चों को दे सदबुद्धि व ज्ञान। माता-पिता,बुजुर्ग को सुबह-सवेरे करें प्रणाम, ना करें हम ऐसा काम जिससे हो जाएं बदनाम। बढ़ते…

Comments Off on हे भगवान,करो कल्याण

रहें पाखंड से बचकर

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** एक थे पाखंडी पंडित,करते पूजा-पाठ थे, हरदम स्वार्थ सिद्धि में रहते आठों याम थे। अपना फायदा हरदम देखते, फायदे के सिवा बात नहीं करते। हरदम…

Comments Off on रहें पाखंड से बचकर