माँ

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… मंदिर में माँ का पूजन, घर में माँ मजबूरी है। नौ मास की पीड़ा सहती, फिर भी बेटों की हठी है।…

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माँ का आँचल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ के आँचल में सिमटी सारी सल्तनत,सुकून भरी जिंदगी, मान अपनी सुरक्षा का सुदृढ़ कवच न केवल एससास,वरन विश्वास…

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मजदूर कौन नहीं…

अनिल कसेर ‘उजाला’  राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) ****************************************************************************** मजदूर कौन नहीं... मैं आप और वो, जो लड़े कठिनाइयों से, न घबराएं बुराइयों से जो घटाये परेशानियों को, और भूल जाये नादानियों कोl मजदूर…

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माँ की महिमा

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ कितनी महान होती है, उसके चरणों में जन्नत होती है। माँ की महिमा का क्या करूं वर्णन, वह तो सारे ब्रह्मांड…

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तुझ जैसी इक माँ…

नताशा गिरी  ‘शिखा’  मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ, मुझमें भी तो जिन्दा है तुझ जैसी ही इक माँ। हाँ माँ, मुझमें भी तो जिन्दा है तुझ जैसी ही…

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मदर्स-डे

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… वाह रे नए युग देखे जो तेरे परिवर्तन, दिनों-दिन। तूने माता-पिता के लिए भी निर्धारित कर दिए दो दिन। मदर्स-डे,फ़ादर्स-डे,…

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माँ का किरदार…

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) *************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… जब उसने कभी माँ का किरदार निभाया होगा, साड़ी में चेहरे पर ममता का भाव तो आया होगाl एक संवेदनहीन…

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माँ गरीब नहीं होती

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ की लोरी से बढ़कर दुनिया में गाना नहीं होता, नापे माँ के दिल की गहराई कोई पैमाना नहीं होताl…

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स्त्री

प्रज्ञा गौतम ‘वर्तिका’ कोटा(राजस्थान) ********************************************* स्त्री… स्त्री-गर्भ से प्रस्फुटित वह अंकुर, जो पुष्पित-पल्लवित हो उठता है बिना सींचे भी, गमक उठता है घर-भर पोसती है वह आँचल की छांव तले…

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गंगा की दुर्दशा

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* हे हिमतरंगिणी भगवती गंगे निर्मल नवल तरंगें, मैंने देखा था तुम्हें निकलते हुए हिमालय की गोद से अति चंचल, मधुर शीतल, धँवल चाँदनी-सी सुंदर। भगीरथ…

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