चुनाव का मुद्दा

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** पक्ष-विपक्ष में बनते मुद्दे घोटालों के बनते मुद्दे, चारा घोटाला हो या कोयला घोटाला, दलदल में फँसी है राजनीति। भगौड़े बन जाते प्रवासी जगत में उतरते,…

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अर्ध नारीश्वर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** तू नारी हम पुरुष, तू जीवन हम रूह तू जननी हम सर्जक, तू नव किसलय हम तरु तू श्रद्धा हम साधक, तू लज्जा…

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सागर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सब नदियों का मीठा पानी, सागर में ही आता है। इसमें क्या गुण है ऐसा, जो ये खारा ही रह जाता है। मीलों तक…

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आसमानी

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* चखना चाहती हूँ, नीले आसमाँ को। क्या वो भी होता होगा! सागर की तरह खारा। लहरें कभी मचलती होंगी वहाँ भी, चाँद के तट पर बैठकर,…

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नेताजी

राजू महतो 'राजूराज झारखण्डी' धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, सब जन हेतु साथ खुशियां लाए हैं, देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, दर्शन इनके पाँच साल…

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जीत का लालच…

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* ओढ़ छतरी लोकतंत्र की जा पहुचे संसद नेता जी नोट गिनें और ओट लूटे बढ़ी समस्या जनता की। करते मत का हैं दुरुपयोग कुछ शकुनी…

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मैं गम लिखता हूँ

उज्जवल कुमार सिंह ‘उजाला’ नजफगढ़(नई दिल्ली) ****************************************************************** कलम की नोक से कागज की कोख पर, कहानियाँ जवानी की मजबूरियाँ दीवानी की, मन के गुबार को हरदम लिखता हूँ कागज को…

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अपनों से मिलन

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ मिलवाना था अपनों से, तभी तो हमें-तुम्हें इस संसार में लाया है। किये होंगे पूर्व जन्म में कुछ अच्छे कर्म हमने, तभी तो आप जैसे, यार…

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हम मन से खारे नहीं

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* यूँ तो सागर हैं हम पर मन से खारे नहीं, मौजों में ही जीते हैं हम किनारे नहीं... अपने दिल को जलाकर रोशनी देते…

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भारतीय

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय'आलोक' अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** युद्ध नहीं है धर्म हमारा, हम तो शांति पुजारी हैं। छेड़ा अगर किसी ने तो, नहीं छोड़ने वाले हैंll चिंगारी को छेड़ोगे तो, बन ज्वाला…

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