नारी का अभिनंदन

विनोद वर्मा आज़ाद देपालपुर (मध्य प्रदेश)  ************************************************ राष्ट्र शक्ति नारी शक्ति, देशभक्ति की अग्रिम पंक्ति की पहचान हो आप। नमन आपको, आपके हौंसलों की उड़ान को। जीवनदायिनी, प्रेरणा प्रदायिनी नमन आपको, आपके अभिमान को। नारी,हर रिश्ते के आगे हार करती स्वीकार है, किंतु रणचंडिका रूप धर, अत्याचार का करती प्रतिकार है। देवियों आपकी, महिमा अपरम्पार है। … Read more

माँ का आँचल

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** माँ! मुझे अब भी तेरा आँचल चाहिए, यह दुनिया मुझे बहुत सताती अब भी मुझे बचपन सा दुलार चाहिए, माँ! मुझे अब भी तेरा आँचल चाहिए। प्रेम,करुणा,दया का पाठ तूने सिखाया, अपनों ने उसको झुठलाया मुझे फिर भी सरलता का वो भाव चाहिए, माँ! मुझे अब भी तेरा आँचल … Read more

आमने-सामने

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’  पटना(बिहार) **************************************************************************** तीन रंगों का तिरंगा प्यारा तीन अंगो की सेना है, हवा में दिख रहा परचम हमारा जल-थल अभी बाकी है। हर घर में वीर है यहाँ हर जिस्म में दौडता लहू, जिनको प्राणों से देश प्यारा है रग-रग में बसा कश्मीर प्यारा है। आजाद भारत की कहानी वीरो की गाथा … Read more

सलाम

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ***************************************************************************  सलाम है उनको, जिन्होंने धमाल कर दिया जान की बाजी लगा कर, दुश्मन का तमाम कर दिया। दुश्मन के घर जाकर, दुश्मन को मार गिरा कर इस देह धरा को अमर कर दिया। है तुमको नमन, तुम्हारी शौर्य की गाथा आज फिर अमर हो गई, तुमने अपने साहस का पराक्रम दिखाया। … Read more

कुर्बानी

डॉ.लता अग्रवाल भोपाल(मध्यप्रदेश) *************************************************************** झुका है सिर आज, तुझको नमन के लिए। दी है जो कुर्बानी , तूने वतन के लिए। छलकी है आँख तना है सीना, तिरंगे में लिपटे बदन के लिए। लगा कर टीका, किया था विदा, दुश्मनों के शमन के लिए। थी जरूरी शहादत तेरी, चमन के लिए। मांगती है माँ भारती, … Read more

मैं नारी

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** भोर की प्रथम किरण का कर स्पर्श, चलती रहती हूँ मैं। किरणों के बढ़ते कद तक, ढलते-ढलते किरण-पाख सिमट जाती तब चलती हूँ मैं। चंद्रकिरण के संग, मध्य रात्रि तक आते-आते जब चाँद भी लगता सिमटने, समेट कर अपने पाँव पेट में अपने ही, मैं भी थम जाती हूँ। कुछ … Read more

समर्थन

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** ‘विधवा’ शब्द कहना कठिन, उससे भी कठिन अँधेरी रात में श्रृंगार का त्याग, श्रृंगारित रूप का ‘विधवा’ में विलीन होना… जीवन की गाड़ी के पहिये में, एक का न होना चेहरे पर कोरी झूठी मुस्कान होना। घर-आँगन में पेड़ झड़ता सूखे पत्ते, ये भी साथ छोड़ते जीवनचक्र की भाँति, सुना … Read more

नारी हूँ मैं

नेहा लिम्बोदिया इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************** कई रूप हैं मेरे, कभी चंचल चाँदनी कभी गंभीर गहराई लिए हूँ। कभी शांत समुद्र-सी, लेकिन लिए हलचल बहुत हूँ। सृष्टि का आधार भी मैं हूँ, और इसको सँवारने वाली भी मैं हूँ। क्या बोलूँ ? क्या हूँ मैं…? बस एक नारी हूँ मैं…, बस एक नारी हूँ मैं…॥

धड़कन

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* नौ महीनों का दर्द सहकर एक नया अंकुर खिलाती, उस गुंजन के कलरव से वह खुशियों से वह झूम जाती। उस खुशी का एहसास क्या होता…, एक माँ से पूछो॥ ममता की छाँव में अपने नौनिलो को लोरी की तान सुनाकर, मन विभोर करती फिर उस सूनी गोद का दर्द … Read more

पिताजी

देवेन्द्र कुमार ध्रुव गरियाबंद(छत्तीसगढ़ ) ************************************************************************** मुझे लगता था वो मुझे डांटने-दबाने में लगे रहे, मैं गलत था,वो तो मुझे ऊपर उठाने में लगे रहे। उनके टोकने,और रोकने से मैं खीझ जाता, मगर मेरे पिता मुझे बेहतर बनाने में लगे रहे। मैं जिद में अड़ जाता,बड़ी हसरतें करता, वो चुपचाप मेरी जरूरतें जुटाने में लगे … Read more