जिंदगी से कभी दूर जाना नहीं

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:फ़ाइलुन×४, २१२ २१२ २१२ २१२) जिंदगी से कभी दूर जाना नहीं। राह मुश्किल बड़ी,जी चुराना नहीं। दिल परेशां अगर हो जहां में कभी, आप फिर भी किसी से जताना नहीं। ऐ मेरे हमसफ़र हार कर जिंदगी, दर्द-ए-गम का आँसू बहाना नहीं। प्यार की चाह में जो भटकना पड़े, … Read more

बताओ,अब किधर जाऊँ मैं

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ बताओ तुम्हीं अब किधर जाऊँ मैं, चलूँ साथ मंदिर कि घर जाऊँ मैं। गुलाबी हँसी के महाजाल में, कहीं टूटकर ना बिखर जाऊँ मैं। कभी तेरे घर को भी देखूँगा ही, तुम्हारे शहर को अगर जाऊँ मैं। नज़र फेर लेना नहीं तुम कभी, अगर सामने से गुज़र जाऊँ मैं। … Read more

नहीं शर्मसार करो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** रोज़ उसको न बार-बार करो। जो करो काम आर-पार करो। आ के बैठो गरीबखाने में, मेरी दुनिया को मुश्कबार करो। तेरे बिन है खिजाँ-खिजाँ मौसम, आ के मौसम को खुशगवार करो। जब तुझे मिल गया सनम याराँ, अब न आँखों को अश्कबार करो। माँग ली है ‘हमीद’ … Read more

मालूम नहीं,दौड़े जा रहे हैं लोग

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* (रचनाशिल्प:२१२ १२१ २१२ १२१) कुत्ते की क़दर,आदमी बेक़दर देखा, सबकी ख़बर,ख़ुद को बेख़बर देखा। बेवफ़ा हवाओं ने अपना रुख़ बदला, मौसम-ए-बहार में सूखा शज़र देखा। मालूम नहीं कहाँ,दौड़े जा रहे हैं लोग, बगैर मंजिल का हमने ये सफ़र देखा। तेरे पत्थर से दिल में,मोहब्बत भर दी, अपनी दुआओं का हमने … Read more

बेवक्त में सहारा नहीं मिलता

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** हर गली में शिवाला नहीं मिलता। रौब वाला दुशाला नहीं मिलता। खोजने से उजाला नहीं मिलता। भूख मे हो निवाला नहीं मिलता। यूँ ठिकाने बहुत मिल गये होंगे, बेवक्त में सहारा नहीं मिलता। भीड़ के बीच हों हम हजारों के, डूबते को किनारा नहीं मिलता। दम भरें हम सभी हैं … Read more

हमीं ने देर कर दी इजहार में…

चतुरसिंह सी.एस .’कृष्णा’ भरतपुर (राजस्थान) ******************************************************** रात-भर जागता रहा उसके फोन के इंतजार में। शायद हमीं ने देर कर दी उससे इजहार में। सोचता हूँ तो आज भी दिल दहल जाता है, पता नहीं क्या कमी थी हमारे किरदार में। जरा संभल कर रहें,इत्मिनान बरतें, चोर-उचक्कों का दबदबा है सरकार में। बेशक मर गये पर ज़मीर … Read more

किसको बताएँ

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली *******************************************************************************  (रचना शिल्प:२२१२ २२१२ २२१२ २२१२) किसको बताएँ क्यों जहर जीवन में अब है भर गया, जलती हुई इस आग में वह राख सब कुछ कर गया। वादे सभी हैं खोखले,जब भी हवा थी कह रही, पर था समां ऐसा बना तब बिन कहे जग मर गया। थी जब चली उसकी सुनामी,बाँध … Read more

देश पर मिटना सौभाग्य

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** प्राकृतिक आमन्त्रण है संघर्ष, स्वीकार करने पर होता है हर्ष। बचपन जवानी की खबर नहीं, जीवन बीत जाता वर्ष प्रतिवर्ष। प्रत्येक पल स्मरण हो प्रभु का, अंतर कहां रहते धरा क्या अर्श। नशा तो मात्र राष्ट्रभक्ति का है, बाकी सब फीके गांजा व चर्स। देश पर मिटना … Read more

कोई कैसे समझे

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२) कोई कैसे समझे मुसीबत हमारी, मुझे तो पता है विवशता तुम्हारी। सिमटती हुई रौशनी के सहारे, सफ़र है तुम्हारा अँधेरों में जारी। कभी मत कहो ये कि मजबूरियाँ हैं, अँधेरों से लड़ने की आई है बारी। अँधेरों से लड़ते रहे तुम अकेले, सभी सूरमाओं पे तुम ही … Read more

अब क्या बचा है गाँव-सा

दौलतराम प्रजापति ‘दौलत’ विदिशा( मध्यप्रदेश) ******************************************** आज अनबन क्या हुई घर बार से, लोग आ कर लग गए दीवार से। कौन जिम्मेवार है इस जुर्म का, राज साया हो गए अखबार से। गाँव में अब क्या बचा है गाँव-सा, ला रहे हैं ढूध हम बाजार से। योजनायें क्या हुई सरकार की, पूछियेगा जा के लंबरदार से। … Read more