परिवार बिना जीवन की कल्पना कठिन

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)************************************* परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है,जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारेपूर्वक निर्वाह…

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प्रकृति प्रदत्त संस्थान है ‘घर-परिवार’

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… संसार की रचना में मनुष्य को परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना माना गया है। मनुष्य ने अपनी श्रेष्ठता को साबित भी किया है,परन्तु मनुष्य अकेला नहीं,एक…

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घर-परिवार:ज़रूरत बदले हुए नज़रिए की

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… 'ज़िंदगी मेरे घर आना,आना ज़िंदगी,मेरे घर का सीधा-सा इतना पता है,मेरे घर के आगे मुहब्बत लिखा है,न दस्तक ज़रूरी,ना आवाज देना,मैं साँसों की…

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घर-परिवार एवं हमारा दायित्व- एक चिंतन

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बचपन जीवन की मुख्य अवस्था है। इसे बहुत ही जतन और स्नेह की आवश्यकता होती है,लेकिन वर्तमान समय में बचपन की उम्र घटने लगी…

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अपना-अपना घोंसला

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… गाय भी रंभाती हुई अपने बच्चों पर ममता और प्यार लुटाने को खूँटे तक पहुँचती है,चिड़िया भी घोंसला बनाती है और बच्चों के…

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समय की आवश्यकता है संयुक्त परिवार

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… हमारे कृषि प्रधान देश में संयुक्त परिवार रामायण व महाभारत काल से चली आ रही प्राचीन परम्पराओं व स्थापित आदर्शों के हिसाब से…

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मौन से न्याय सम्भव नहीं

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ********************************************** मौन से न्याय कदापि सम्भव नहीं है,जबकि यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि मौन रहकर स्वयं द्वारा स्वयं से अन्याय करना है और…

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तप एवं संयम की अक्षय मुस्कान का पर्व

ललित गर्गदिल्ली ************************************** अक्षय तृतीया(१४ मई)विशेष..... अक्षय तृतीया महापर्व का न केवल सनातन परम्परा में,बल्कि जैन परम्परा में विशेष महत्व है। इसका लौकिक और लोकोत्तर-दोनों ही दृष्टियों में महत्व है।…

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मानवीय संवेदनाओं पर भारी स्वार्थ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** आज समाज,शहर,नगर,प्रदेश,देश या यूँ कहें सम्पूर्ण मानव जगत 'कोरोना' महामारी की विकराल मौत के तांडव में फँसा त्राहि माम्-त्राहि माम् शिव कर रहा है।…

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‘कोरोना’ पर काबू संभव,लेकिन…

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन टीकों पर से पेटेंट (अधिकार,स्वामित्व) का बंधन उठा लेता है तो १००-२०० करोड़ टीकों का इंतजाम करना कठिन नहीं है। अमेरिकी, यूरोपीय,रुसी और…

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