कोयल कूके

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कोयल कूके जब अमुवा पर, मन भौंरा इठलाता है। पिया मिलन की मधुरिम बेला, राग प्रीत के गाता है॥ अमराई की सुन्दर छाया, जहाँ खेल हमने खेला। रंग बसन्ती पुरवाई में, खुशियों का लगता मेला॥ वही सुहाना मौसम अब है, याद बहुत अब आता है। कोयल कूके जब … Read more

हिम्मत रखेंगे तभी,तो हराएंगे

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** हिम्मत रखी ‘अनंत’ आज तक हारे नहीं, हिम्मत रखेंगे तभी,तो उसे हराएंगे। ‘कोरोना’ की महामारी,घुस आई है जो लोगों, घर की न घाट की ये,रहेगी भगाएंगे॥ छाती पर मूंग जो ये,दल रही आज तक, बंद रहे घरों में तो,जड़ से मिटाएंगे। ठंडा होने देंगे नहीं कलेजे को कोरोना … Read more

कठिन डगर

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** कठिन डगर है ये जीवन की,कभी नहीं घबराना जी। संकट में है देश हमारा,सबको जोश दिलाना जी॥ ‘कोरोना’ बीमारी देखो,कैसे चलकर आया है। दिखे नहीं यह सूक्ष्म जीव पर,पूरी दुनिया छाया है॥ साफ -सफाई रखना सीखो,भीड़-भाड़ मत जाना जी। कठिन डगर है ये जीवन की,कभी नहीं घबराना जी॥ … Read more

जीवन गीत

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६/१४) सब सम्भव है इस जीवन में, जो चाहो हासिल कर लो। रखो हौंसला मेरे साथी, अपने वश मंजिल कर लो॥ कठिन राह पर चलकर देखो, दुख में सुख मिल जाता है। यहाँ मेहनत करने वाला, जीवन गीत सुनाता है॥ धर्म मार्ग पर चलना सीखो, कर्म ध्वजा शामिल … Read more

हे नीलकंठ! जग कष्ट हरो

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** (रचनाशिल्प:कुल- ३२ मात्राएं) हे नीलकंठ! करुणामय मेरे, दया सिंधु अब लाज धरो। है आज जगत में त्राहि मची, हे जगदीश्वर! जग कष्ट हरो। तुमने ही जगहित धारण कर विष, कंटक कालन कंठ धरो। अब दीनन के दु:ख दूर करो प्रभु, शंभु हरे-हर, विपद हरो॥ त्राहि मची है आज भुवन में, … Read more

कर दो माँ,कल्याण

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** हे माँ,आज शरण में आए, कर दो माँ,कल्याण। आज दु:खी दुनिया है सारी, तेरी शक्ति महान॥ हे माँ,मधुकैटभ विनाशिनी, रक्तबीज कर अंत। महिषमर्दिनि,हे जगदंबा, ‘कोविड’ का कर अंत॥ दुर्गा,काली,चंडी,गौरी, तेरे रूप अनेक। असुर घातिनी,कष्ट हारिणी, शरणागत प्रत्येक॥ दु:खी आज सब लोग तुम्हारे, चरनन शीश झुकाय। करो दुखों का अंत आज … Read more

प्रीत हमें जता जाना

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचना शिल्प:८ वर्ण १३ मात्रिक,मापनी-२११ २१२ २२) साजन जिंदगी मेरी। है अब बन्दगी तेरी॥ गीत मुझे सुना जाना। आप नहीं भुला जाना॥ बादल सा घना छाया। प्रीत यहाँ मुझे लाया॥ राग मल्हार प्यारा है। जीवन गीत न्यारा है॥ यार नहीं सता जाना। प्रीत हमें जता जाना॥ फूल कली … Read more

जीतेगा मानव

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ साहित्यिक गतिविधियाँ,सुन्दर काज। इससे कुसुमित होता,रहा समाज॥ सबके हित की बातें,यहाँ प्रधान। रचनाकारों का है,कार्य महान॥ तुलसी दल के जैसे,सब गुणवान। छोटे और बड़े सब,एक समान॥ सम्मानित सर्जक सब,हैं प्रणम्य। इनके कारण धरती,बनी सुरम्य॥ गीतों में जीवन के,बजे सितार। धरती पर आलोड़ित,होता प्यार॥ दु:ख के दिन में औषधि,सद्साहित्य। हर … Read more

माता रानी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** माता रानी अम्बिके,कर देना शुभ काज। आए तेरे द्वार पर,रखना सबकी लाज॥ रखना सबकी लाज,शरण में आज तिहारे। देखो हाहाकार,मचा है देश हमारे॥ कहे ‘विनायक राज’,करें क्या समझ न आता। तुमसे है अब आस,बचा लो जग को माता॥ कहना मेरा मान लो,हे जगजननी मात। जोत जलाऊँ आपकी,नव दिन … Read more

राम का नाम करे भवपार

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:१६ मात्रिक छन्द-आदि में ३,२त्रिकल द्विकल अंत में २,३द्विकल त्रिकल दो-दो चरण सम तुकांत चार चरण का एक छन्द) अवध के प्यारे हैं श्री राम, जगत में न्यारे हैं श्री राम। राम हैं सकल गुणों की खान, करें हम राघव का गुणगान। राम हैं मर्यादा आदर्श, राम लाते जीवन … Read more