जैन धर्म में भगवान का अलग स्वरुप

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** जैन धर्म की ऐतहासिकता के अलावा जैन धर्म के सिद्धांत,दर्शन के बारे में बहुत से लोग अनभिज्ञ हैंl जैन धर्म कर्मवाद-भाव पर अधिक ध्यान देता हैl संसार यानी भ्रमण करना और मुक्ति यानी इससे मुक्त होनाl मानव मोह के कारण संसार में घूमता हैl मोह रूपी सम्राट के २ सेनापति राग -द्वेष हैंl … Read more

तुलसी देवै नमः नमः

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************************ यत्र नार्य्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:( मनुसंहिता)नारी ही आदि शक्ति,आधार स्वरूपा महाशक्ति, महालक्ष्मी, महासरस्वती। आदि-अंत काल से संसार का आपातकाल में विश्व त्रिभुवन की रक्षाकर्ती एकमात्र आदिशक्ति महामाया ही नारी हैlअत्याश्चर्य की बात यह है कि,पुरूष प्रधान व पुरूष प्रशासित विश्व को,संसार को,संतानों को लालन-पालन करते हुए संसार में प्राण प्रवाह … Read more

परिष्कृत जीवन शैली ही अध्यात्म

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** आध्यात्म के विषय में लोगों के बीच काफी भ्रामक धारणा बनी हुई हैl वास्तव में अध्यात्म स्वयं को पहचानने की एक विधा है,परिष्कृत जीवन-शैली है और स्वयं के विकारों का शमन है,जो कहीं पर भी हो सकता हैl इसके लिए एकान्तवास‌,वनवास अथवा हिमालय की ‌तलहटी जरूरी नहीं हैl जीवन के किसी भी … Read more

पहले प्रति-माँ की सेवा जरुरी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ****************************************************** नवरात्रि लगते ही सब भक्त माँ अम्बे की प्रतिमा के नव रूपों का अलग-अलग दिन विधि-विधान से अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजा-पाठ और माँ को मिठाई,फल का भोग लगाते हैं,पर उस प्रति-माँ का क्या ? जो आज अपने ही घर में बेबस और लाचार पड़ी है। आज भी कई … Read more

दुर्गा पूजा:आत्मबल जागरण का माध्यम

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** दुर्गा पूजा की धूम मची है। घर-घर में दुर्गा-सप्तशती का पाठ हो रहा है। जो लोग घर में हैं तो वो इस अनुष्ठान को सफल करने में लगे हुए हैं और जो घर से बाहर हैं,वे भी कष्ट सह कर, ‘कोरोना’ महामारी के भय को भी त्याग कर दूर … Read more

सिद्धि और साधना की कुंजी नवरात्रि

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)******************************************************* सर्व मंगल मांगल्ये, शिव सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥प्रत्येक संवत्सर (साल) में चार नवरात्र होते हैं, जिनमें विद्वानों एवं ज्योतिषाचार्यो ने वर्ष में दो बार नवरात्रों में माँ की आराधना का विधान बनाया गया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से … Read more

पितृपक्ष:श्राद्ध-कर्म में स्वकल्याण अवसर

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** पितृपक्ष २ सितम्बर (२०२०) से प्रारंभ हो चुका है। यह महालयारंभ,प्रतिप्रदा श्राद्ध १ तदनुसार भाद्रपद शुक्ल १५ से शुरू हुआ और १७ सितम्बर आश्विन कृष्ण ३०,२०७७ को समाप्त होगा।पितृ पक्ष या पितरपख,१६ दिन की वह अवधि है,जिसमें हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिए … Read more

पितृ पक्ष:भरपूर आशीर्वाद प्राप्ति

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************** इस वर्ष २ से १७ सितम्बर तक पूरे १६ दिनों का पितृ पक्ष है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए,पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने एवं पितृ दोष निवारण के लिए ये दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पूरे साल की अमावस्या तथा इन दिनों पितृ तर्पण,पिंड दान,ब्राह्मण भोजन,दान,कुआं-तालाब का निर्माण,पौधरोपण,नारायण बलि-नाग … Read more

प्रकृति संरक्षक व दिव्यज्ञान के प्रतीक श्री गणेश जी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. ईश्वर निराकार है। एक होकर भी उसने अनेक रूप धारण किए। स्वयं भगवान कहते हैं,-‘एकोऽहं बहुस्याम’,अर्थात में एक होकर भी अनेक रूप धारण करता हूँ। संसार में विभिन्न लीलाएं रचने,संसार को मार्गदर्शन देने,संसार में सभी प्रकार की मर्यादाएं व व्यवस्थाएं बनाने,भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन … Read more

मूलाधार स्थित विघ्नहर्ता गणेशजी

डॉ.पूर्णिमा मंडलोईइंदौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं-मूलाधार, स्वाधिष्ठान,मणिपुर,अनाहत,विशुद्ध,आज्ञा और सहस्रार चक्र। इनमें से मूलाधार सबसे पहला चक्र है। मूलाधार चक्र का स्थान `रीढ़ की हड्डी के एकदम निचले हिस्से में होता है। सामान्यतः हमारी सारी ऊर्जा मूलाधार चक्र पर स्थित होती है। ध्यान के माध्यम से मूलाधार … Read more