रूठी हँसी की खोज
योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** तेरासी टपे तो कुछ बूढ़े लोगों से संगति हुई। समय-समय पर गोष्ठी होने लगी। अच्छा लगा। इस तरह कई मास बीते। संगतियों को मेरी उपस्थिति भाने लगी। लोग मेरी हँसी न देखने की भी चर्चा करने लगे। सहसा एक दिन मैं उस गोष्ठी से अनुपस्थित हो गया। फिर से … Read more