मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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“भाभी,आप अपनी सेहत का भी ध्यान रखा करो न…माँ का ध्यान रखते रखते..आप कैसी दिखने लगी हो !” अंकिता ने उदासीन होते हुए अपनी भाभी के गालों को पकड़ कर हिलाते हुए कहा…।
अंकिता माँ के पैर की हड्डी टूट जाने के बाद ससुराल से तुरन्त नहीं आ सकी थी,इसलिए अब..जब पंद्रह दिनों बाद वो आयी है…तो भाभी के द्वारा की गई माँ की सेवा को देखकर वो बहुत भावुक हो गई…।. ननंद के ऐसा कहते ही प्रति उत्तर में नीता के चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान बिखर गई.. और फ़िर उनके पैर छूते हुए नीता भी भाव विह्वल हो कर बोली-“सच कहूँ दीदी,माँ-बाप का इस तरह से ध्यान रखना तो मैने आपके भैया से जाना..। वो हमेशा मुझसे कहते हैं कि भगवान को किसने देखा है..। अपनी उम्र में इन्होंने हमारे लिए इतना किया है कि,उसके बदले में हम इनके लिए जितना भी करें कम ही है….और ये, सच भी है..! और ये भी तो सच है कि,माँ-बाप की सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती…। उसका आधा मुनाफ़ा तो मुझे भी मिलेगा..क्योंकि मेरे बच्चे भी तो बड़े हो रहे हैं..!” कहते हुए उल्लास से भरपूर नीता ने अपनी ननंद का हाथ थाम लिया।
परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”