सतरंगी सुरों के ईर्द-गिर्द रहा जीवन

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ किशोर कुमार जन्म जयंती विशेष… एक फंटूश चल पड़ा शिकारी बन, के.एल.सहगल से प्रभावित ‘दुःखी मन मेरे, यहाँ नहीं रहना’ गाते हुए। वह दौर फिल्म जगत के लिए स्वर्णिम वर्षों में रहा। सफलता के लिए जब एक से एक महारथियों, मशहूर नामचीन कलाकारों और दिग्गज अभिनेताओं के बीच तब दादा … Read more

पिता के आखिरी शब्द

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** उनकी साँसों से मेरी खुशियाँ (पिता दिवस विशेष)… यह घटना सन १९९८ की है। जब यहाँ अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी। वहाँ पाकिस्तान ने उनसे विश्वासघात करके भारत की कारगिल चोटी पर जंगी हालात पैदा कर दिए थे। मेरे पिता जी की तबियत उन दिनों नासाज थी, जबकि उम्र … Read more

भारतीय भाषाओं के अमर सेनानी ‘डॉ. वैदिक’

डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** १४ मार्च-पुण्य तिथि विशेष…. डॉ. वेद प्रताप वैदिक के व्यक्तित्व के अनेक महत्वपूर्ण पहलू हैं। वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फ़ारसी व रूसी आदि अनेक भाषाओं के जानकार थे। वे विशेषकर दक्षिण एशिया की विदेश नीति के विशेषज्ञ और भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष थे। वे विश्व स्तर के कूटनीतिज्ञ थे, … Read more

वो नया मेहमान…

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)********************************************* आज से ५० साल पहले मेरे दोस्त ने मेरा मुँह मीठा कराते हुए बताया कि, उसके घर में आज नया मेहमान आया है। जब मैंने पूछा-‘लड़की हुई है या लड़का!’ तो उसने कहा कि ‘मैंने खुशी के चलते भाई साहब से विस्तार में बात ही नहीं की।’आगे चलकर मैंने अनुभव किया … Read more

सामाजिक सम्बन्धों को मजबूती देता पर्व

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)********************************************* स्नेह के धागे… वैदिक काल में जिसे हम ‘रक्षासूत्र’ कहते थे, उसे ही आजकल ‘राखी’ कहा जाता है। मुझे याद है बचपन में हमारी बुआजी ऋषि पञ्चमी वाले दिन पहले पहले रेशम की ५-७ पतली रंगीन डोरियों से बना रक्षासूत्र थोड़ा फैलाकर हम सभी के हाथ में बाँधती थी। बाद में … Read more

दूर के ढोल सुहावने

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** एक बार हम यूरोप घूमने गए थे। पेरिस से हमने सबको उपहार में देने के लिए छाते खरीदे। उन छातों पर यूरोप के पर्यटन स्थलों के चित्र बने हुए थे। अपनी सभी देवरानियों व सबकी बहू-बेटियों के लिए छाते लाए थे। सबको वो भेंट किए। मेरी बहू का छाता २ बार के … Read more

विरले संत स्वामी रामसुखदास जी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)********************************************* ऐसा सुना हुआ है कि, परम श्रद्धेय संत स्वामी रामसुखदास जी ने अपने विषय में किसी भी प्रकार का भाव व्यक्त करने की मनाही की हुई है, फिर भी उनके निर्वाण दिवस के मौके पर-जब मैं ७-८ साल का था, तब एक दिन अकोला (महाराष्ट्र) में मेरे बाबाजी (ताऊजी) श्रद्धेय बुलाकी … Read more

ईश्वरीय देन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* सब जानते हैं, धन-दौलत, रिश्ते-नाते, प्रेम-प्यार, धर्म-कर्म,जो कुछ भी कमाया, बनाया, सब कुछ यहीं छूट जाएगा। पता नहीं, किस पल में साँसें पूरी हो जाएं, और इस जग, जीवन को छोड़ कर प्राण-पखेरू-आत्मा, परमात्मा में विलीन हो जाएंगे, लेकिन फिर भी हर जीवन उस एक पल के बारे में सोचे … Read more

भागम-भाग वाली जिन्दगी में प्रेमपूर्वक होली

  जीवन और रंग,… बीते साल होली के अवसर पर मुम्बई वाले भवन-समूह में आयोजित सभी कार्यक्रमों में भागीदारी निभाने का अवसर मिला। उसी को याद कर बता रहा हूँ कि, जनवरी माह में वहाँ उद्यान के चारों तरफ लगे नारियल के पेड़ से नारियल के साथ उसकी अनउपयुक्त डालियाँ उतार नारियल तो बाजार से … Read more

दोनों तरफ़ के दरवाजे बंद कर दे…

सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफ़र’देवास (मध्यप्रदेश)****************************************** जीवन और रंग… बात उन दिनों की है जब मैं १९८४ में आईटीआई करके गाजरा गियर्स कम्पनी (देवास) की नौकरी में लगा था। नया शहर था, मैं वहाँ के त्यौहारों की परम्पराओं से ज़्यादा परिचित नहीं था। वहाँ आने के पश्चात सबसे पहला त्यौहार होली आया, लेकिन कम्पनी में होली … Read more