‘आप अनपढ़ हो…?’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज तक मैंने जिस कार्यालय में भी काम किया है,वहाँ यह कोशिश की कि लोग अंग्रेजी का मोह त्याग सकें और हिंदी को प्रोत्साहन मिले। एक कार्यालय में जनसंपर्क बहुत ज्यादा होता था। आजकल लोगों को अंग्रेजी बोलने का कुछ ज्यादा ही शौक चर्राया हुआ है। जो आता…चटर-पटर अंग्रेजी में बोलता। मैं … Read more

शिक्षक ही रखता है़ पटरियों की नींव

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. ज़िंदगी के रंग में शिक्षक का पीताबंर रंग आकाश में स्थित सूरज,चाँद,तारों व अन्य ग्रहों के संग सदैव सुख-दु:ख के बादलों की तरह छाया रहा। कभी सप्त-ऋषि सा दिखाई देता रहा तो कभी इन्द्र बन तीव्र अश्रुओं की वर्षा में अवगुणों को जीवन से दूर … Read more

शिक्षक मार्गदर्शक इंद्रधनुषी जीवन पथ के

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. जब भी ‘शिक्षक’ की बात होती है,तो अपने छात्र दिवस की सुनहरी यादें मन मस्तिष्क में उभर आती हैं। विद्यालय के शिक्षक हों,या कला क्षेत्र में,सबकी अपनी गरिमा होती है।सर्वप्रथम शिक्षक तो हमारे माता-पिता ही होते हैं, जो हमारे लालन-पालन के साथ हमें आ … Read more

पढ़ाई के साथ खेल भी आवश्यक

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** जब हम छोटे थे,तब दौड़ा-दौड़ी के बाद सबसे पहले लूडो खेलना शुरू किया जो आज भी उम्र के इस पड़ाव में उतने ही उत्साह से खेल लेते हैं। जब कुछ सयाने हुए तब कैरम खेलने लग गए। कुछ और सयाने हुए,तब पांव से गेंद एक दूसरे की तरफ फेंकने लगे। जब … Read more

१९६५ की देशभक्ति और प्रदर्शनी

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों के झरोखे से… १९६५ में भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ा हुआ था। मैं उन दिनों उषा सिलाई स्कूल में सिलाई- कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही थी। उस समय लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। उन्होंने देश के लोगों में देशभक्ति का ऐसा जज्बा पैदा कर दिया था कि महिलाओं ने अपने … Read more

ईश्वर की महिमा अपरम्पार

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** ‘काके'(स्व. सुरेन्द्र सिंह चाहिल) हम पाँच भाइयों में तीसरे नम्बर का भाई,जो कर्मठ,कर्तव्यपरायण,हर प्रजाति के जीवन का रक्षक,और अपने समय का एक माना हुआ खिलाड़ी रहा। उन दिनों उसके चर्चे, तात्कालिक मध्यप्रदेश के सरगुजा क्षेत्र ही नहीं, विन्ध्य में भी हुआ करते थे।अचानक ३१जुलाई १९७२ की एक काली शाम … Read more

अच्छे विद्यालय,अच्छे गुरु और अच्छा स्नेह मिला

सविता धरनदिया(पश्चिम बंगाल)**************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष….. ‘विद्यार्थी’ २ शब्दों के मेल से बना है-विद्या व अर्थी। विद्या का अर्थ हुआ ज्ञान और अर्थी माने चाहने वाला। देश का एक अच्छा नागरिक हम तभी हो सकते हैं,जब हम अपने अध्ययनकाल में अच्छे विद्यार्थी होंगे। ऐसे ही मेरा विद्यार्थी जीवन बहुत अच्छा था। बचपन से … Read more

…तो ज्ञान दीपक न जलता

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष ……. मैं जब पहली कक्षा में था तो दोस्तों को बहुत गालियाँ देता था,सिर्फ इसलिए कि वो मुझे परीक्षा में नकल नहीं कराते थे। उस समय हमारे विद्यालय में ‘चूरन’ मिलता था। जब परीक्षा का समय आता था तो मैं उन्हीं लड़कों को चूरन खिलाता था जो … Read more

स्मृतियों के झरोखे में अनमोल विद्यार्थी जीवन

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* मेरा विद्यार्थी जीवन….. विद्यार्थी जीवन होता है अनुपम अनमोल,खेल-कूद सखी मित्र संग नटखट बेमोलशिक्षा संग होये उत्तम व्यक्तित्व निर्माण,कच्चे घडे़ संवारते मात-पिता-गुरु बोल। सुमधुर स्मृतियाँ बचपन हृदय हँसे डोल,हँसी-ठिठोली संग बनते हमजोली बेमोल।बालक-बालिका भविष्य हों उत्तम नागरिक,लौटकर ना आये विद्यार्थी जीवन अनमोल॥यूँ तो विद्यार्थी जीवन बालकाल से जब तक आप … Read more

मेरा विद्यार्थी जीवन और रचना धर्मिता

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. पिताजी यद्यपि अपने समय के कक्षा ४ उत्तीर्ण थे,फिर भी उनकी गणित बहुत अच्छा था।विद्यालय घर से दूर होने के कारण मेरी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। कक्षा ३ से प्राथमिक विद्यालय हऊली (चौनलिया) में प्रवेश लिया। गुरुजी श्री भैरवदत्त एवं श्री दयाकृष्ण जोशी … Read more