काश! वो दिन फिर लौट आते

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. जब मैं कक्षा छठवीं में पढ़ती थी,तब मेरे पिता जी के पास एक एटलस की डंडी वाली साईकिल थी। वे उसी से दफ्तर जाते-आते थे। उन दिनों लोग साईकिल ज्यादा इस्तेमाल किया करते थे।हम बच्चे पिताजी की छुट्टी वाले दिन का इंतजार करते थे,क्योंकि रविवार के … Read more

साइकिल लेकर छोड़ने चल दिए…

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. बचपन में सभी लोग अपने पिता जी की साइकिल पर अवश्य बैठे होंगे,उसी प्रकार मैं भी साइकिल पर बैठता था। आज के जमाने में बच्चे अपने पापा की मोटरसाइकिल और कार में ही बैठ कर पार्क जातेहैं। उस समय पापा मुझे अपनी पतली टायर वाली साइकिल … Read more

उनका मान-सम्मान,स्वाभिमान थी साइकिल

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. दोस्तों,आधुनिक युग में बहुत बड़े-बड़े परिवर्तन हुए हैं,आज से तीस- चालीस साल पहले की हम बात करें तो उस समय की जीवनशैली और आज की जीवनशैली में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। यह नहीं कहता कि समाज और देश तरक़्क़ी न करे, ख़ूब तरक़्क़ी … Read more

हर कदम पर प्रेरणादायक पापा और साईकल

श्रीमती चांदनी अग्रवालदिल्ली ***************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. कहां से शुरू करुं ? समझ ही नहीं आ रहा है। पिताजी,मेरा बचपन या साइकिल ? जवाब मिल गया। सच तो यह है कि यह तीनों आपस में जुड़े हुए हैं। मेरे बचपन की यादों में पापा और उनकी साइकिल एक अहम हिस्सा है।आज … Read more

कर्मपथ की साथी साईकिल

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. लोमश ऋषि की पदधूल में रचा-बसा गाँव लोमर जिला बाँदा उत्तर प्रदेश मेरी जन्मस्थली है, लेकिन मेरी बचपन की यादों की शुरुआत फतेहपुर जिला के बिन्दकी तहसील के महाजनी गली मोहल्ले के प्रसिद्ध मन्दिर के सामने बसा मेरा घर,चबूतरा और अच्छा-खासा मैदान जहां बाबू … Read more

मेला और तुलसी का पौधा

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र लगभग १२-१४ वर्ष रही होगी। हमारे प्रयागराज में हर साल माघ मेला लगता है। हम संयुक्त परिवार में ही रहते थे। मेरी चचेरे भाई से बहुत पटती थी। अब भी पटती है। हम दोनों बाहर साथ साथ ही आते-जाते थे। जनवरी-फरवरी में हमारे प्रयागराज में … Read more

देवी जी खुश हैं

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बड़ी मजेदार बात हुई। पत्नी नाराज थी। रोज ही सब्जी पर या अन्य किसी ना किसी बात पर चक-चक होती थी। महाराज जी खुद अपने सिंहासन पर विराजमान रहते थे और छोटी-छोटी कमी ढूँढ कर मीन-मेख निकालते थे। पत्नी अपनी मर्जी से मनचाही सब्जी भी नहीं बना सकती। क्या … Read more

ग़ज़ल के चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे डॉ. दरवेश भारती

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) *************************************** श्रद्धांजलि:स्मृति शेष…… ‘जितना भुलाना चाहें भुलाया न जायेगा,दिल से किसी की याद का साया न जायेगा।’इस संजीदा अशआर को कहने वाले डॉ. दरवेश भारती जी ३ मई २०२१ को दुनिया को अलविदा कह गए,लेकिन जो काम हिंदी, उर्दू साहित्य के लिए वे कर गए,वह आने वाले कई सालों तक उनको ज़मीन पर … Read more

मुझे आज कुछ कहना है माँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस’ विशेष…. माँ, इस ‘मातृ दिवस’ के अवसर पर आपसे कुछ कहना है। माँ,आपका दिन किसी एक दिन का मोहताज़ नहीं है,पर यदि महिला सशक्तिकरण के रूप में आपको देखें तो आपसे अच्छा उदाहरण मेरे लिए कोई नहीं हो सकता है।आप उस जमाने या माहौल में रही,जब महिलाओं का … Read more

दया

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** अपनी बाईक स्टैण्ड पर खड़ी कर मैं बस की तरफ़ बढ़ रहा था,तभी एक भिखारी हाथ में भगवान की फ़ोटो लिए मुझसे पैसे मांगने लगा। मुझे उसके भीख मांगने पर बड़ा आश्चर्य हुआ,क्योंकि वह एक नौजवान व्यक्ति था। मुझे अपनी डायरी में लिखा एक सुविचार याद आया कि-‘दान के दो ही … Read more