सौभामिनी-करवा

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* सौम्य सोम की शीत रश्मि से,आँचल अपना भर लेंगी।प्रेम पयोधि पी कर पी कर से,तृप्त आचमन कर लेंगी॥ बांधेगी विधु को छलनी के,सूक्ष्म परिधि के भीतर हीअर्ध्य धार देंगी सारी,आज धरा की वैदेही। देंगी चुनौती अप्सराओं को,ठहरो अभी संँवर लेंगी…॥ जिनके पी परदेश पधारे,पी छवि शशी में ढूंढेगीसुमन सुधाकर को कर अर्पित,स्मृति … Read more

नूतन इतिहास बनाते हैं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** चढ़कर हिमगिरि की चोटी जोअपना परचम फहराते हैं,नूतन इतिहास बनाते हैं। जो डरें नहीं बाधाओं से,बस आगे बढ़ते जाते हैं।आकाश अनन्त हुआ तो क्या,ऊँची परवाज़ लगाते हैं।कितना भी दुर्धुष हो दुश्मन,निर्भय होकर टकराते हैं।नूतन इतिहास बनाते हैं। मातृभूमि रक्षा हित अपनातन मन धन अर्पित जो कर दे।अपने प्यारे देश के लिए,फाँसी … Read more

खुशियों के फूल खिलाएं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम सब साथी मिलकर,ऐसा ये संसार बनायें,कोई दुखी नहीं हो जग में,हम खुशियों के फूल खिलायें। सभी द्वेषता भूले मन की,आपस में सब दिल मिल जायें,ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,नफरत की दीवार गिरायें।ईश्वर अल्लाह गॉड एक हैं,सबको बस इतना समझायें।प्यार बढ़ा कर मानव मन में,स्नेह प्रेम की ज्योति जगायें। फैला है … Read more

हिंदी मेरी जान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. मात्रा शिल्प: भार १६-१३हिन्द देश के हैं हम वासी,हिंदी मेरी जान है।तन-मन सब-कुछ वार दिया है,इस पर जां कुर्बान है॥ नमः मातरम् नमः मातरम्,धरती का यह राग है।भारत वासी बेटे हैं हम,सबकी यही जुबान है।हिन्द देश के हैं हम… अंग्रेजी पढ़ लेना तुम सब,बनना मत … Read more

दर्पण

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** शब्द नहीं हैं यह केवल,ये समाज के हैं दर्पण।रागिनी भी है दिखाती,भावों का सुन्दर अर्पण। सुन्दर शब्दों से सजकर,बनते रस से सने गीत।बहती नवरस की धारा,सात स्वरों के ले संगीत।शब्द गुंथित गीत माला,स्वर सुगंधितमय समर्पण। गीतों में गाँवों की शोभा,नदियों के नवगीत सजे।खुशियाँ हैं जगती मन में,सुनकर मन है पीर तजे।रागिनी भी है … Read more

जर्जर नौका गहन समंदर

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* मँझधारों में माँझी अटका, क्या तुम पार लगाओगी। जर्जर नौका गहन समंदर, सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझी, वर्तमान की तज छाया अपनों की उन्नति हित भूला, जो अपनी जर्जर काया क्या खोया,क्या पाया उसने, तुम ही तो बतलाओगी। जर्जर…ll भूल धरातल भौतिक सुविधा, भूख प्यास निद्रा भूलाl रही … Read more

कैसी मजबूरी

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. सामाजिक संबंध और दूरी, समझें क्या इसे मजबूरी। सामाजिक प्राणी कहलाते, मानवता नाता बनाते। छोड़ क्यों इक पल में जाते, हो जाता क्यों ये जरूरी। सामाजिक संबंध और दूरी, समझें क्या इसे मजबूरी॥ बेशक जिम्मेवारी निभाएं, अपनों को पर ना भुलाएं। अपनों के भी … Read more

मैं नील गगन का वासी

देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार)  ************************************************************* मैं नील गगन का वासी, मैं सदा अभय हूँ बिन बाधा निर्भय हूँ, नहीं चाहिए कृपा किसी की नहीं दया का भाव, गुलामी से अच्छा है रहे सदा अभाव, नहीं बनना है मुझे किसी का दास या दासी। मैं नील गगन का वासी। अपने श्रम से नीड़ बनाता तिनके … Read more

माँ

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ तुम केवल शब्द नहीं हो, तुम अक्षर अनुप्रासl तुम जननी निरकेवल भाषा तुम ममता का पत्र, तुम सामाजिक एक धरोहर तुम प्रतीक का सत्र, तुम संवेदन सहनशीलता अवलोकन की प्यासl तुम असाढ़ की भीगी बदली तुम मंदिर का शंख, आसमान की किरण कौमुदी तुम … Read more

पेट की आग

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** बल-प्रयोग के जहरवाद से, दु:खी पेट की आग। उत्पीड़न के नसतरंग का नहछू और नहावन, छुआछूत की दाल-पिठौरी पत्थर का परिछावन, कुमुदिनियों के अंग-अंग पर ‘मैं-भी’ का है दाग। भूख-प्यास की दोपहरी की साँस-साँस वैरागी, नहर-निरीक्षण-घर में सेवा रात बिताई भागी, गहन अँधेरे में मंत्रालय खूब पकाये पाग। लोक-लुभावन … Read more