नूतन इतिहास बनाते हैं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** चढ़कर हिमगिरि की चोटी जोअपना परचम फहराते हैं,नूतन इतिहास बनाते हैं। जो डरें नहीं बाधाओं से,बस आगे बढ़ते जाते हैं।आकाश अनन्त हुआ तो क्या,ऊँची परवाज़ लगाते…

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खुशियों के फूल खिलाएं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम सब साथी मिलकर,ऐसा ये संसार बनायें,कोई दुखी नहीं हो जग में,हम खुशियों के फूल खिलायें। सभी द्वेषता भूले मन की,आपस में सब दिल मिल…

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हिंदी मेरी जान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. मात्रा शिल्प: भार १६-१३हिन्द देश के हैं हम वासी,हिंदी मेरी जान है।तन-मन सब-कुछ वार दिया है,इस पर जां कुर्बान है॥…

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दर्पण

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** शब्द नहीं हैं यह केवल,ये समाज के हैं दर्पण।रागिनी भी है दिखाती,भावों का सुन्दर अर्पण। सुन्दर शब्दों से सजकर,बनते रस से सने गीत।बहती नवरस की धारा,सात स्वरों के…

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जर्जर नौका गहन समंदर

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* मँझधारों में माँझी अटका, क्या तुम पार लगाओगी। जर्जर नौका गहन समंदर, सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझी, वर्तमान की तज छाया अपनों की…

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कैसी मजबूरी

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. सामाजिक संबंध और दूरी, समझें क्या इसे मजबूरी। सामाजिक प्राणी कहलाते, मानवता नाता बनाते। छोड़ क्यों इक पल में…

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मैं नील गगन का वासी

देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार)  ************************************************************* मैं नील गगन का वासी, मैं सदा अभय हूँ बिन बाधा निर्भय हूँ, नहीं चाहिए कृपा किसी की नहीं दया का भाव, गुलामी से…

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माँ

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माँ तुम केवल शब्द नहीं हो, तुम अक्षर अनुप्रासl तुम जननी निरकेवल भाषा तुम ममता का पत्र, तुम सामाजिक एक…

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पेट की आग

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** बल-प्रयोग के जहरवाद से, दु:खी पेट की आग। उत्पीड़न के नसतरंग का नहछू और नहावन, छुआछूत की दाल-पिठौरी पत्थर का परिछावन, कुमुदिनियों के अंग-अंग…

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