जगती चेतना

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* मँहगाई से ऊब चुका हूँ थोड़ी साँस हमें लेने दो, जग में व्याप्त बुराई से लड़-लड़ कर मैं टूट गया हूँ, थोड़ा मुझे सुधर लेने दो। दुनिया के झंझावातों को पागल-सा न जाने कबसे, रो-रोकर मैं झेल रहा हूँ सच पूछो तो मन व्याकुल है, जरा इसे बहला लेने दो। अब … Read more

तन-मन भीगा जाय

सुषमा दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** रंगों की बौछार में,तन-मन भीगा जाय। आया फागुन झूम के,सजनी बहुत लजाय॥ आयो मौसम प्रेम को,आम गयो बौराय। गाए कोयल प्रेम धुन,फागुन भी इतराय॥ आँगन में टेसू महका,खेत आम बौराय। शीत गई फगुना आयो,साजन रंग लगाय॥ पीली सरसों खेत में,आँगन चौक पुराय। आयी होली मस्तानी,तन-मन भीगो जाय॥

अंधेरे से नहीं डरती

सुनीता उपाध्याय`असीम` सिकन्दरा(उत्तरप्रदेश) ************************************************************* किसी का दु:ख नहीं मैं दूर कर सकती जहाँ में, गरीबों को गले से मैं लगा लेती हूँ लेकिन। कभी भी मोह-माया पर भटकता ध्यान है तो, वहाँ से ध्यान अपना मैं हटा लेती हूँ लेकिन। छिपाने की सुनूँ मैं बात कोई जो किसी से, तभी से पेट में उसको पचा … Read more

ताक़त है आज़मानी आज फिर

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** साथ मिलकर ईद होली है मनानी आज फिर। प्यार की गंगा हमें यारों बहानी आज फिर। खोल दी है याद की इक इत्रदानी आज फिर। दास्ताने इश्क है उनको सुनानी आज फिर। एक रूमानी ग़ज़ल है गुनगुनानी आज फिर। हो गयी है इक ज़रा-सी बदगुमानी आज फिर। … Read more

रंगों की फुहार

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राधा बृषभान की छोरी,प्रेम रंग से खेले होली, मन पर प्रेम र॔ग की पिचकारी,श्याम ने खूब मारी… अंग-अंग,रोम-रोम भीगा,राधा श्याम की होली। गोपियों का महारास,बना गोकुल की पहचान, माखन-मिसरी के बहाने नाचे जगत कन्हैया… गोपियाँ श्याम स॔ग होली,प्रेम रंग से खेलें होली। भक्ति के रंग में एक बालक ने खेली होली, … Read more

सीमा

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** सीमाओं के भीतर रहकर, अपने कार्य करते जाओ मंजिल का रख ध्यान सदा, तुम आगे ही बढ़ते जाओ। जीवन में मेहनत करने की, होती नहीं है कोई सीमा चले सत्य के साथ सदा जो, उन्हें रोक सके ना कोई सीमा। पर कभी-कभी तुम सीमाओं से, बाहर जाना भी सीखो बाहर … Read more

जुल्म और जुर्म

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** जुर्म कर रहे हैं वो जुल्म सह रहे हैं जो, बंध के बंदिशों की बेड़ियों में रह रहे हैं जो। जो तूफानों का कभी मोड़ रूख देते थे, आजकल बिन हवाओं के बह रहे हैं वो। जो उठाते थे आवाज सबके हित के लिये, अब हो गये स्तब्ध कुछ न … Read more

हमारा भारत

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शीश मुकुट हिमालय जिनकी छाती पर पावन गंगा है, महिमा उस देश की गाता हूँ,जिस देश की शान तिरंगा है। जहाँ ताजमहल और लाल किले-सी अदभुत भव्य इमारत है, सागर जिनके पाँव पखारे,वही हमारा भारत हैll जहाँ सरिता,झरना,झीलें और सुंदर बाग-बगीचे हैं, रामेश्वर-काशी-काबा सब एक गगन के नीचे हैं। जहाँ … Read more

उमंग

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* उड़े फागुन के रंग, मन में भरी उमंग खेले बंधुओं के संग, गुलाल उड़ाइयेll पीकर ठंडाई भंग, मस्ती में बजाए चंग मिल-जुल खेलें सभी, उमंग बढ़ाइयेll दिल में उमंग उठी, चाल हुई अटपटी राग-द्वेष भूलकर, रंग बरसाइयेll अँखियां रही है बोल, खुशियां रही है घोल तन-मन उमंग है, प्रेमरंग पाइएll … Read more

होली

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* होली ऐसा पर्व है,लाये हर्ष अपार। चाहे राजा-रंक हो,सबमें दिखता प्यार। सबमें दिखता प्यार,गाँव परदेशी आते। नया-नया पकवान,सभी हैं मिलकर खाते। कह बिनोद कविराय,दिखे सबकी ही टोली। डाले रंग-गुलाल,बुरा मत मानो होली। परिचय : बिनोद कुमार महतो का उपनाम ‘हंसौड़ा’ है। आपका जन्म १८ जनवरी १९६९ में महावीर चौक, निर्मली(सुपौल)का है। … Read more