अष्टम अनुसूची के बहाने फिर हिंदी पर वार…

राजनीति:प्रतिक्रिया…. बुद्धिनाथ मिश्र(उत्तराखण्ड)- राजभाषा हिंदी का घर बांटने के लिए जो छोटे दिमाग के लोगों का कई सालों से प्रयास हो रहा है,उसका डटकर मुकाबला जो गिने-चुने लोग कर रहे हैं उनमें डॉ. अमरनाथ प्रथम पंक्ति में हैं। मैंने हमेशा उनका समर्थन किया है और आगे भी करता रहूंगा। कल अमेरिका से एक ऑनलाइन संगोष्ठी … Read more

‘फिल्म नगरी’ बनाना आसान,’बॉलीवुड’ बनाना कठिन!

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ********************************************************** ‘बॉलीवुड’ में सुशांत संदिग्ध मौत प्रकरण,भाई- भतीजावाद,नशा प्रकरण,यौन शोषण और हल्के स्तर की राजनीति के बाद नया कोण एक नया प्रति-बॉलीवुड खड़ा करने की उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ताबड़तोड़ घोषणा है। योगी ने कहा कि उप्र में देश की सबसे खूबसूरत फिल्म सिटी(नगरी) बनेगी। आज देश को एक नई … Read more

मानवीय-चेतना के अभ्यासी और हिंदी के पुरोधा संत विनोबा भावे

प्रो. गिरीश्वर मिश्रदिल्ली********************************************************** एक ओर दुःस्वप्न जैसा कठोर यथार्थ और दूसरी ओर कोमल आत्म-विचार! दोनों को साथ ले कर दृढ़ता पूर्वक चलते हुए अनासक्त भाव से जीवन के यथार्थ से जूझने को कोई सदा तत्पर रहे,यह आज के जमाने में कल्पनातीत ही लगता है,परंतु ‘संत’ और ‘बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध भारतीय स्वातंत्र्य की गांधी-यात्रा … Read more

किसानों के फायदे का कानून,पर विचार जरुरी

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************** किसानों से संबंधित ३ कानूनों के बनने से केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत बादल इतनी नाराज हुईं कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वे अकाली दल की सदस्य हैं और पंजाब से सांसद हैं। पंजाब किसानों का गढ़ है। देश में सबसे ज्यादा फसल वहीं उगती है। कुछ पंजाबी किसान संगठनों ने इन) कानूनों को … Read more

मास्साब

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)********************************************************* आज फ़िर वैसी ही ओलावृष्टि है,वही असमय की वर्षा,परंतु आज मन उतना प्रफुल्लित नहीं है। १ माह से अधिक हुआ,मैंने पिता जी को खो दिया है। ऐसे में दो शब्द मेरे मस्तिष्क में रह-रहकर गूंज रहे हैं राम-राम सा…lयही प्रथम परिचय था मेरा उनसे। आज से लगभग १७ वर्ष पूर्व जब मेरी … Read more

हिंदी के बढ़ते चरण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* हिंदी का यशगान हो,हिंदी का सम्मान। हिंदी का गुणगान हो,हिंदी का उत्थानll१४ सितम्बर १९४९ को संविधान सभा ने एकमत से हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णय लिया और सन १९५० में सविधान के अनुच्छेद ३४३ (१) द्वारा हिंदी की देवनागरी लिपि को राजभाषा का दर्जा दिया गयाl हिंदी … Read more

विश्व शान्ति दिवस-बढ़ते कदम

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… विश्व शान्ति दिवस या अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार हर वर्ष मनाया जाता है। भारत एक संघर्ष-निवारक,शान्तिप्रिय देश है। सर्वकल्याण की भावना इसके कार्य-कलापों में निहित है।ऊँ सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पयन्तु मा कचित्दु:खभाग भवेद्llअर्थात्,-“सभी सुखी हों,सभी … Read more

विश्व शांति की स्थापना में चरित्र निर्माण की महती भूमिका

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष……        कोलकाता की पावन भूमि पर जन्मे बांग्ला भाषा के विश्वविख्यात कवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक ऐसे विश्व की कल्पना की थी,जहाँ मनुष्य का मस्तिष्क भयमुक्त हो और सर सदैव ऊँचा रहे। उनकी सुप्रसिद्ध पुस्तक `गीतांजलि` की यह प्रथम रचना है, वे लिखते हैं-`व्हेयर द माइंड इज … Read more

नई शिक्षा नीति के चक्रव्यूह में हिन्दी

प्रो. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)****************************************** चकित हूँ यह देखकर कि,राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० में संघ की राजभाषा या राष्ट्रभाषा का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। पिछली सरकारों द्वारा हिन्दी की लगातार की जा रही उपेक्षा के बावजूद २०११ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार आज भी देश की ५३ करोड़ आबादी हिन्दी भाषी है,दूसरी ओर अंग्रेजी बोलने … Read more

हिंदी दिवस:अंग्रेजी मिटाओ नहीं,सिर्फ हटाओ

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************** भारत सरकार को हिंदी दिवस मनाते-मनाते ७० साल हो गए लेकिन कोई हमें बताए कि सरकारी काम-काज या जन-जीवन में हिंदी क्या एक कदम भी आगे बढ़ी ? इसका मूल कारण यह है कि हमारे नेता नौकरशाहों के नौकर हैं। वे दावा करते हैं कि वे जनता के नौकर हैं। चुनावों के … Read more