गलती

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** आज सास की चार कड़वी बातें सुन मिताली की आँखें भर आई। उसे रह-रह माँ की याद आ रही थी। काश ! माँ ने पढ़ाई-लिखाई…

0 Comments

साहित्य साधक प्रो.(डॉ.) खरे सम्मानित

मंडला (मप्र)। इतिहासकार, साहित्यकार, शासकीय प्राचार्य और मंचों के प्रस्तोता, प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे को मंडला के सुप्रसिद्ध संगीत समूह 'फ्राइडे सिंगर्स' ने अपने चतुर्थ वार्षिक समारोह में सुदीर्घ रचनाधर्मिता…

0 Comments

बाल साहित्य आलेख लेखन प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि आमंत्रित

सलूम्बर (राजस्थान)। सलिला संस्था द्वारा हिंदी बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं के लेखन को प्रोत्साहन देने और श्रेष्ठ प्रविष्टियों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने हेतु वर्ष-२०२४ के लिए…

0 Comments

राजनीति का व्यापार छोड़ दीजिए, भाईचारा जगह बना लेगा

ललित गर्ग दिल्ली************************************** अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (१८ दिसम्बर) विशेष... 'अल्पसंख्यक अधिकार दिवस' पहली बार १८ दिसम्बर १९९२ को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया गया था। भारत में इस दिन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक…

0 Comments

आईना जिन्दगी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* आईना होती है ये जिंदगी,तू रूठा तो वो भी रूठ जाएगी। दिल का दर्पण है ये आँखें,लाख छुपाओ, कह देती हैं कहानी। आईना क्या कभी झूठ…

0 Comments

दुविधा में है न्याय अब

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* असमंजस में न्याय फँस, राजनीति के व्यूह।बिके अदालत न्याय की, कहाँ बची अब रूह॥ राजनीति व्यामोह में, न्यायालय परिवेश।सत्य न्याय आश्रित कहाँ, दुविधा में…

0 Comments

रावण

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** कलयुग है कलयुग,आज का रावणएक नहीं हर जगह,दिखाई देने लगेखूनी खेल, बलात्कार,पाखंड, दबाव डालनाआदि क्रियाएं,प्राचीन रावण को भी पीछेछोड़ती दिखाई देने लगी। आकाशवाणी मौन,सब बने हों जैसे…

0 Comments

ऐ वीर जवान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* ऐे सैनिक! फौज़ी, जवान, है तेरा नित अभिनंदन।अमन-चैन का तू पैगम्बर, तेरा है अभिवंदन॥ गर्मी, जाड़े, बारिश में भी, तू सच्चा सेनानी,अपनी माटी की रक्षा को,…

0 Comments

शीत ऋतु

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** 'कलयुग' खण्डकाव्य से... पहुँचाने द्वार शीत आयी, तन मन भिगाती बरखा,पर सूखा-सूखा समय रहा, चला काल का पुनःचरखा। शरद दौड़ता छूने हमको हम सब तो भय से…

0 Comments

क्यों पीछे सब छूट गया

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** बढ़ गए आगे पर क्यों पीछे छूट गया,ध्यान लगा चलते-चलते, क्या रूठ गयायुवा अवस्था पाते ही बचपन छूट गया,आया बुढ़ापा तो जवानी भी रूठ गई…

0 Comments