मेरे शहर को क्या हो गया
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* आज मेरे शहर को ये क्या हो गया है,वो मीठा से रिश्ता कहाँ खो गया है। कभी हुआ करती थी ऐसी भी होली,निकलती थी मस्तों…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* आज मेरे शहर को ये क्या हो गया है,वो मीठा से रिश्ता कहाँ खो गया है। कभी हुआ करती थी ऐसी भी होली,निकलती थी मस्तों…
मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** हिंद देश की मिट्टी जिसकी,खुशबू बड़ी निराली है।जिसमें खेले-बड़े हुए ,देश की वादी अली है। सोंधी खुशबू इस मिट्टी की,लगती बड़ी प्यारी है।हिंद देश…
डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* मायका…नहीं रह जाता मायका,माँ के बिना…सूना सब ज़ायक़ाघर तो बिलकुल वही रहता है,फिर क्यों सब नया-सा लगता है ?? अजनबी से चेहरे लगते सभी,प्यार भी…
अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** जिसके पाँवों तले है जन्नत बसी,वो तो माँ है हमारी हर इक खुशी। वो इबादत भी है औ पूजा भी है,वो तो माँ प्यारी सी है…
वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ******************************************** मुहब्बत की निशानी ढूँढता हूँ।वही अपनी जवानी ढूँढता हूँ। कभी ख़त तो कभी तस्वीर उसकी,सभी चीजें पुरानी ढूँढता हूँ। शहर में,गाँव में,सारे जहाँ में,छुपा चेहरा…
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* जितने मुँह उतने ही सवाल हैं,जो न मिला उसका मलाल है। मिलता सबको कर्मों का फल,यह काल कलयुग का काल है। बेरोजगारी बढ़ रही है जग…
तृषा द्विवेदी ‘मेघ’उन्नाव(उत्तर प्रदेश)***************************************** हे श्याम! मैं द्वापर की राधा नहीं,न ही मैं मीरा हूँ,मुझमें इतना समर्पण कहाँ है कृष्ण!मैं तो इस युग की एक साधारण-सी नायिका हूँ,मुझे रुक्मिणी-सा अधिकार…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बैंक के मुख्य द्वार पर सूचनापट्ट लगा हुआ था,जिस पर लिखा था-'यहाँ हिंदी में लिखे हुए चैक भी स्वीकार किए जाते हैं।'देखकर दिल बुरी तरह आहत हुआ।…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-आर,रदीफ़-होना चाहिये; बहर-२१२२,२१२२,२१२२,२१२ दुश्मनी को छोड़कर बस प्यार होना चाहिये,जो बहुत होता है कम इस बार होना चाहिये। हर दफ़ा ले आड़ होली पर निकालें…
रोहित मिश्र,प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)********************************************** किसी भी देश का संविधान उसकी रीढ़ के समान होता है। हर देश का एक संविधान होता है,जिसके अनुसार उस देश की व्यवस्था चलती है। सार्वजनिक नियम कानून…