एक पत्र आने वाली पीढ़ी के नाम

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्यारे बच्चों, चिरंजीवी हो। बच्चों कितने वर्षों बाद जब तुम मुझे पढ़ रहे होगे तो वह समय कैसा होगा ? तुम्हारा रहन-सहन कैसा है ?,यह…

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गुरुनानक देव:विश्व दृष्टि और लोक व्याप्ति

प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन (मध्यप्रदेश) **************************************************************** भारतीय सन्त परम्परा में गुरुनानक देव जी (१५ अप्रैल १४५९-२२ सितम्बर १५३९) का स्थान अप्रतिम है। उनका प्रकाश पर्व कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता…

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तकदीर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** भार धरा शाश्वत शिरसि,अथक वेदना चूर। कहता है ख़ुद दास्तां,दीन हीन मज़दूर॥ पड़े फफोले हाथ में,घायल पैर सवाल। हुआ स्वेद जल तरबतर,धूल गात्र…

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प्रीत के पावन भाव प्रिये

सुदामा दुबे  सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* लिए हुए वो प्रीत के पावन भाव प्रिये, खड़ा अटल-सा पथ में अपने पाँव प्रिये। चटक सिंदूरी से तन पर उसके बाने, ठंडी शीतल-सी है उसकी…

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घर से काम-कितनी आसानी, कितनी परेशानी

इलाश्री जायसवाल नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* पहले सिर्फ कुछ लोगों के बारे में सुनते थे कि घर से काम करते हैं। सुनकर ऐसा लगता था कि यह तो बड़ी अच्छी चीज़ है,घर…

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हिम्मत रखेंगे तभी,तो हराएंगे

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** हिम्मत रखी 'अनंत' आज तक हारे नहीं, हिम्मत रखेंगे तभी,तो उसे हराएंगे। 'कोरोना' की महामारी,घुस आई है जो लोगों, घर की न घाट…

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देश पीछे नहीं,आगे जाएगा फिर

प्रिया सिंह लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************** 'कॊरोना' एक जंग है घर बैठ अब लड़ो ना, ए मालिक इस आपदा को अब हरो ना। रह कर दूर हर रिश्तेदारी निभा लो, हाथ जोड…

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भारत की संस्कृति-संस्कार,ताकतवर हथियार

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** विश्व लड़ रहा युद्ध मची हाहाकार,ना मैदान युद्ध का-ना गोली-ना तोप-बारूद,ना बम वर्षा,ना एटमी हथियार की धमकी,ना मिसाइल की मार, घर में बैठा इंसान…

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टूटी भोजन की आस…रोता बच्चा

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** बीच मझधार फंसे मजदूर, साथ में बीबी-बच्चे, भूखे-प्यासे, सर पे गठरी सूखी ठठरी, घर की आस बड़ी बाधाएं, कहां जाएं काम न काज, `कोरोना` का…

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ऐसी है मेरी बेटी…

सुमिधा सिदार`हेम` सरकण्डा(छत्तीसगढ़) ****************************************************** भरी दोपहरी धूप में, पानी की कुछ बूंदें आ उसके, हाथों में गिर पड़ी। आसमां को ताकती, दौड़ती-भागती मेरे पास आयी। कहती है...माँ,माँ...! अब बारिश होनें…

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