अधिवक्ताओं की माँग-सभी आयोगों की वेबसाइटों पर भारतीय भाषाओं में हो जानकारी

नई दिल्ली। वकीलों के एक समूह ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और कुछ अन्य संगठनों से भाषाई भेदभाव को समाप्त करने के लिए अपनी वेबसाइट पर सभी २२ अनुसूचित भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद,संघ की अधिवक्ताओं की शाखा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग,राष्ट्रीय अनुसूचित … Read more

पिता

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** कहकर पिता-पिता मैं,किसको बुला सकूंगा।‘पापा’ बताओ कैसे ?,तुमको भुला सकूंगा…॥ बचपन में जो सिखाया,वह ज्ञान साथ तो है।जो भी कहा,सुनाया,वह तान साथ तो है॥उस ज्ञान का सहारा,मुझको प्रकाश देगा।संदेश भी तुम्हारा,उत्साह,आस देगा॥ पर किस तरह दिलासा,दिल को दिला सकूंगा।‘बाबू’ बताओ कैसे ?तुमको भुला सकूंगा…॥ पाता जिसे पिता से,वह प्यार अब कहां है … Read more

घर-आँगन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** घर-आँगन सुन्दर सजे,मिल-जुल नित सहयोग।त्याग शील पौरुष सुभग,नीति प्रीति बिन रोग॥ खिले कुसुम घर प्रगति के,आँगन भारत देश।सुखद शान्ति सद्भावना,मानवीय परिवेश॥ आँगन तुलसी पूजिता,उपयोगी शुभकाम।तन धन मन सुख सम्पदा,अन्त काल अविराम॥ श्री शोभा तनया सुता,पिता मान पर गेह।करुणा ममता शुचि खुशी,यशो निधि बस नेह॥ घर शोभे नित अंगना,मातु वधू … Read more

बुद्धम् शरणम् गच्छामि

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ****************************************** मानवता की सीख से,जगा दिया संसार।हे गौतम! तुमने दिया,हमको जीवन-सार॥ सामाजिक नवचेतना,का बाँटा उजियार।प्रेम-नेह के दीप से,दूर किया अँधियार॥ कपिलवस्तु के थे कुँवर,किया सभी पर त्याग।ज्ञान-खोज में लग गए,गाया सत् का राग॥ संन्यासी बन तेज का,दिया दिव्य उपहार।बुद्ध ज्ञान के पुंज थे,परम मोक्ष का सार॥ धम्मं शरणम् ले गए,सारे जग … Read more

जन्नत बनाएँ यह पर्यावरण

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** रश्के ‘जन्नत बनाएँ यह पर्यावरण।आओ हम सब ‘सजाएँ यह पर्यावरण। इस ‘धरा को सजाएँ ‘चलो हर तरफ़।पेड़-पौधे लगाएँ ‘चलो हर तरफ़।पानी हरगिज़ बहाए न बेजा कोई,यह मिशन हम ‘चलाएँ चलो हर तरफ़। रश्के जन्नत बनाएँ यह ‘पर्यावरण।आओ हम सब’ सजाएँ यह पर्यावरण। ज़िन्दगी ‘है ज़रुरी परिन्दों की ‘भी।लाज़मी है ‘ह़िफ़ाज़त ‘दरिन्दों … Read more

रखना अटल विश्वास

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** हर कदम पर मुस्कुराना होगा,पर्वतों में भी मार्ग बनाना होगा। कठिन होता नहीं कुछ सोच लो,जिंदगी चलती है थोड़ी मौज लो। अटल विश्वास मन में रखना है,प्रेम का जो वास मन में रखना है। गीत हर हाल में तो गाना होगा,हर कदम पर मुस्कुराना होगा। मंजिलें कितनी भी दूरी … Read more

आनलाइन मुशायरा सम्पन्न

सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध महफ़िल-ए-ग़ज़ल मंच पर आनलाइन मुशायरा आयोजित किया गया। कार्यक्रम संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात, पटल संचालक ग़ज़लकार धर्मराज देशराज की उपस्थिति में यह हुआ।इस कार्यक्रम की शुरुआत अर्चना पाठक ने सरस्वती वंदना से की। अनेक जगह से रचनाकारों ने इसमें प्रतिभागिता की। सभी ने एक दूसरे की रचनाओं को सुना और … Read more

कोरोनाःऊटपटांग सर्वेक्षण से भारत की बदनामी

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* ‘न्यूयार्क टाइम्स’ अखबार ऐसी बेसिर-पैर की खबर छाप सकता है,इसका विश्वास नहीं होता। उसमें १२ विशेषज्ञों के हवाले से यह छापा गया है कि भारत में पिछले सालभर में ‘कोरोना’ से लगभग ४२ लाख लोगों की मौत हुई है और ७० करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित या बीमार हुए हैं। क्या भारत … Read more

पत्थर जैसा कठोर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तेरी चाहतें और तेरी हसरतें,सभी भुला दिया है मैंनेप्यार करती थी मैं तो,तुमसे लेकिन तुमबेवफा निकले,पत्थर जैसेकठोर। तुम क्या जानोगे प्रीत है क्या,तुम तो परदेसी जो ठहरेखोया तुमने रुमाल को,छुप के नाम लिखप्यार से भेजा,भुला दियाकठोर पत्थर जैसा दिल है तुम्हारा,तुम रंग बदलने वाले होझूठी बातें करते हो,वादा तोड़नेवालेतुम मनचले,कहाते होकठोर। … Read more

अंधेरा अब मिटने वाला है

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* कष्टों का अविराम अंधेरा,देखो अब मिटने वाला है।बरखा की बूंदों के संग घन,नूतन खुशियां लाने वाला है। पीड़ा अब आँसू बनकर बहेगी,ये सहर ऐसी हवा बहाने वाला है।धारा का अब सब ताप मिटेगा,सुहाना सावन फिर आने वाला है। विहग वृंद मिल मंगल गाएंगे,जय गीत पपीहा गाने वाला है।‘आजाद’ … Read more